हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने अधिकारियों को इस बात का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं कि कोई किसान इस साल पराली न जला पाए. आगामी धान की फसल को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाए. अधिक से अधिक किसानों को फसल अवशेषों में आग न लगाने के लिए जागरूक किया जाए. उन्होंने खुद भी किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे फसल अवशेषों को खेत में न जलाएं. क्योंकि पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट होती है.
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनों पर सब्सिडी देने के अलावा पराली न जलाने वाले किसानों को धान पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दरअसल, हरियाणा प्रमुख धान उत्पादक प्रदेश है और यहां पर हर साल किसान बड़े पैमाने पर धान का अवशेष यानी पराली जलाते हैं. जिससे प्रदूषण होता है.
खेती योग्य बनेगी जलभराव वाली एक लाख एकड़ जमीन
दलाल ने कहा कि एक लाख एकड़ जमीन से लवणीय पानी को निकाला जाएगा. इसके लिए जल्द ही सर्वे करवाकर डीपीआर तैयार की जाएगी, ताकि ऐसी जमीन को खेती योग्य बनाया जा सके. दलाल ने यह बात कृषि विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक में कही. उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिस क्षेत्र की जमीन में जल-भराव होता है, वहां के किसानों से बात कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
इस समस्या से ग्रस्त क्षेत्रों में पब्लिक हैल्थ विभाग के साथ मिलकर इस पानी को विभिन्न तकनीकों के माध्यम से पीने योग्य बनाया जाए. दलाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि फसल बीमा योजना के तहत खराब फसलों की पैंडिग राशि को किसानों के खाते में जल्द डलवाया जाए. उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए 100 डीएसआर (Direct Seeding of Rice) मशीनें खरीदने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा हुआ है.
कितनी जमीन पर है ऐसी समस्या
राज्य में लगभग 11 लाख एकड़ क्षेत्र जल-भराव और लवणता की समस्या से प्रभावित है, जिसमें से लगभग 1.50 लाख एकड़ अधिक प्रभावित है. किसानों की आय (Farmers Income) में वृद्धि करना है तो इसे ठीक करना होगा. सुधार पर प्रति एकड़ औसतन 36 हजार रुपये खर्च होंगे. इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित जिले रोहतक, झज्जर, सोनीपत और चरखी दादरी हैं.