महंगी होती अरहर दाल की कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार नए सिरे से जुट गई है।

Parmod Kumar

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इसी क्रम में दक्षिण पूर्वी अफ्रीकी देश मालावी से हर साल 50 हजार टन अरहर दाल आयात किया जाएगा। यह व्यवस्था अगले पांच साल के लिए हुई है। ऐसा हो जाने पर घरेलू बाजार में अरहर की दाल की कीमतें नियंत्रित होने का अनुमान है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की इकाई विदेश व्यापार महानिदेशक ने कल ही दक्षिण पूर्वी अफ्रीका के देश मलावी से 50,000 टन अरहर दाल के आयात के लिए एक सहमति ज्ञापन समझौते की अधिसूचना जारी की। डीजीएफटी ने गुरुवार को जारी एक सार्वजनिक नोटिस में कहा कि भारत अगले पांच वित्तीय वर्षों – 2021-22 से 2025-26 (अप्रैल-मार्च) के दौरान निजी व्यापार के जरिए मलावी से हर साल 50,000 टन अरहर दाल के आयात का कोटा जारी करेगा।
डीजीएफटी ने कहा, “भारत सरकार और मलावी की सरकार के बीच मंजूर किए गए सहमति ज्ञापन के तहत 2021-22 से 2025-26 के बीच मलावी से 50,000 तुअर दाल के आयात के लिए अधिसूचना जारी की गयी।” डीजीएफटी ने एक दूसरे सार्वजनिक नोटिस में भारत और म्यांमार के बीच हुये आपसी सहमति ज्ञापन के तहत पड़ोसी देश से 2021-22 से 2025-26 के दौरान 2,50,000 टन उड़द दाल और 1,00,000 टन तुअर दाल के आयात की अधिसूचना भी जारी की।

2020 -21 में कम हुई थी अरहर की पैदावार
वर्ष 2020-21 के दौरान तुअर (अरहर) का उत्पादन घटने का अनुमान लगाया गया है। यही वजह है कि इसका असर कीमतों पर दिखा है। पिछले साल का बकाया स्टॉक कम होने से देश में दालों की कुल उपलपब्धता कम रह सकती है। इस समय अरहर दाल की खुदरा कीमत 100 रुपये से भी ज्यादा हो गई है।

बेमौसम की बारिश का असर
अपने यहां अरहर की खेती खरीफ मौसम में होती है। इसकी फसल के तैयार होने में नौ महीने लगते हैं। बीते खरीफ सीजन में तुअर की बुवाई अच्छी हुई थी, लेकिन बाद के महीनों में मौसम प्रतिकूल होने से अच्छे उत्पादन की संभावनाओं पर पानी फिर गया था। बेमौसमी बारिश से तुअर का उत्पादन 23 फीसदी घटकर 29.5 लाख टन रह गई थी। जबकि बीते सीजन 2019-20 के दौरान देश में कुल अरहर उत्पादन 36.5 लाख टन रहा था। इसके अलावा देश में तुअर का कैरीओवर स्टॉक घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 3.1 लाख टन पर आ गया था। उधर, नैफेड और एफसीआइ के पास महज 1.4 लाख टन स्टॉक बचा था।

अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों में एक समान नहीं रहा उत्पादन
बीते खरीफ मौसम में अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक में तो पैदावार और उत्पादन संतोषजनक रहा है, लेकिन दूसरे प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र खासकर विदर्भ और मराठवाड़ा में कटाई के समय बेमौसमी बारिश के कारण पैदावार में गिरावट आई थी। भारत में अरहर का आयात म्यांमार के अलावा तंजानिया और सूडान सहित कई देशों से होता है।