सरकार ने खाद की कीमतों को लेकर की अहम बैठक, जानिए अब क्या होगा किसानों पर असर

Parmod Kumar

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आमतौर पर अक्टूबर सीजन से रबी फसलों की बुआई शुरू हो जाती है. इस दौरान अच्छे बीजों के साथ-साथ किसानों को खाद की जरुरत होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मांडविया ने अहम बैठक की. इस बैठक में खाद की पर्याप्त सप्लाई को लेकर चर्चा हुई. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद की बढ़ती कीमतों को लेकर भी बातचीत हुई है.

आपको बता दें कि अभी भी सरकार खरीफ सीजन के लिए खाद पर सब्सिडी दे रही है. डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के अन्य ग्रेड पर बढ़ी हुई सब्सिडी 31 अक्टूबर तक लागू है. इसका मतलब है कि डीएपी उर्वरक पर प्रति बोरी (50 किलो) सब्सिडी 500 रुपये से बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी कर दी गई.

यह लगभग 140 फीसदी की वृद्धि है. कोविड-19 महामारी के इस दौर में खाड़ी देशों ने डीएपी खाद के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतें काफी बढ़ा दी हैं. इसकी वजह से डीएपी खाद की एक बोरी की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है. लिहाजा, किसानों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सब्सिडी में 140 फीसदी की भारी बढ़ोतरी का फैसला किया.

अब क्या होगा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की सबसे बड़ी टेंशन इस समय खाद की बढ़ती कीमतें है. ऐसे में सरकार के पास दो ही ऑप्शन है वो या तो कंपनियों को दाम बढ़ाने की इजाजत दें या फिर भारी भरकम सब्सिडी दें. इन दोनों विकल्प पर सरकार विचार कर रही है. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है. ऐसे में सरकार खाद बढ़ाने का जोखिम नहीं ले सकती है. इसीलिए सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है.

आपको बता दें कि खरीफ सीजन के लिए केंद्र सरकार ने डाइ अमोनिया फास्फेट (डीएपी) खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये से बढ़ाकर 1200 प्रति बैग (कट्टा) कर दी है. डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को 1200 रुपये ही खाद के प्रति बैग चुकाने होते हैं.

हाल ही में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. इसी कारण एक डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है, जिसे खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपये की सब्सिडी घटा कर 1900 रुपये में बेचा जाता है.