आज इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच गांव-गांव तक हो गई है. इसी का लाभ उठाते हुए सरकार भी इसके जरिए नागरिकों को तमाम सुविधाएं पहुंचा रही हैं. कृषि के क्षेत्र को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए तमाम ऐप्स लॉन्च किए जा रहे हैं. किसानों की उपज की खरीद-बिक्री के लिए एक देश-एक मंडी व्यवस्था को बनाने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है और इसके लिए एक पोर्टल और मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है.
नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट यानी E-NAM भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है. नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट कृषि जिंसों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए मौजूदा मंडियों को नेटवर्क करता है.
इतना ही नहीं, इस ऐप का काम व्यापारियों द्वारा दूरस्थ बोली लगाना और किसानों तक पहुंच सुनिश्चित करना है. इसी के साथ -साथ व्यापारियों के स्मार्टफोन पर किसानों और अन्य हितधारकों के लिए संबंधित जानकारी पहुंचाना भी इस ऐप के कार्यों में शामिल है.
2016 में हुई थी शुरुआत
ई-नाम मोबाइल ऐप व्यापारियों द्वारा बोली लगाने की सीमित सुविधाओं और ई-नाम पर व्यापार संबंधित सूचना देने के लिए जारी किया गया है. ई-नाम ऐप के जरिए व्यापारियों के लिए सीमित कार्य उपलब्ध हैं. व्यापारी व्यापार के लिए उपलब्ध स्लॉट के लिए बोली लगा सकते हैं. इसके अलावा, एक नई बोली दर्ज कर सकते हैं या अंतिम बोली का मूल्य बदल सकते हैं.
कृषि मंत्रालय ने 14 अप्रैल, 2016 को ई-नाम को लॉन्च किया था. इससे राज्यों की एपीएमसी मंडियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. सरकार का उदेश्य था कि कृषि उपज की खरीद-बिक्री से बिचौलियों को खत्म किया जाए. इस ऐप के जरिए ट्रेड करने पर किसानों या व्यापारियों के बीच कोई तीसरा आदमी नहीं होता.
एक देश-एक मंडी व्यवस्था लागू करने में निभाएगा बड़ी भूमिका
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मई, 2021 तक ई-नाम पर कुल 1000 मंडियां पंजीकृत हैं. वहीं कुल 1 लाख 69 हजार 548 ट्रेडर्स इस पर रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा 92 हजार से अधिक कमीशन एजेंट और 1856 एफफीओ भी ई-नाम पर मौजूद हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि देश की मात्र 14 प्रतिशत मंडियां ही अभी ई-नाम पर हैं. हालांकि धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है और उम्मीद है कि एक देश-एक मंडी व्यवस्था को लागू करने में ई-नाम की बड़ी भूमिका होगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में 1000 और मंडियों को ई-नाम से एकीकृत करने की बात कह चुकी हैं. वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का दावा है कि खरीद-बिक्री में पारदर्शिता के कारण बड़ी संख्या में किसान ई-नाम प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं.