सरकार 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर्बल खेती की योजना पर काम कर रही है, इससे किसानों की आय 5000 करोड़ रुपए होगी।

Parmod Kumar

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जैव विविधता के मामले में हमारा देश बहुत ही समृद्ध है. यहां पर जो पेड़, पौधे और फसलें उगाई जाती हैं, वो न सिर्फ हमारी खाद्य जरूरतों को पूरा करती हैं बल्कि इनमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. अगर किसान खास तौर पर हर्बल खेती से जुड़े तो वो इससे अच्छा मुनाफा भी ले सकते हैं क्योंकि बाजार में इनकी अच्छी खासी मांग रहती है.

भारत में लंबे समय से पेड़ पौधों के अलग-अलग हिस्सों का इस्तेमाल कर के रोगों और बीमारियों को ठीक किया जाता रहा है. भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से है, जिसे उच्च जैव विविधता वाले देश का दर्जा दिया जाता है. बहुत सी बनस्पतियों की किस्में सिर्फ भारत में ही पाई जाती हैं.

8000 पेड़-पौधों का औषधीय रूप में होता है इस्तेमाल

भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, यहां करीब 8000 पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनका उपयोग औषधीय रूप से किया जाता है. इनसे बने उत्पाद और दवाइयों की विदेशों में अच्छी-खासी मांग रहती है. यहीं मांग किसानों के लिए हर्बल खेती का द्वार खोलती है. इनकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

मौजूदा समय में कोरोना के कारण लोगों ने एक बार फिर प्राकृतिक पेय और औषधीयों की ओर रुख किया है. शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने से लेकर बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोग औषधीय पौधों का सहारा ले रहे हैं. भारतीय औषधीयों की बढ़ती मांगों को देखते हुए किसानों के लिए औषधीय पौधों की खेती आर्थिक रूप से काफी फायदेमंद साबित हो रही है.

हर्बल खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार भी किसानों का हर संभव सहयोग कर रही है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दिए गए आर्थिक पैकेज में हर्बल खेतो की प्रोत्साहन देने के लिए 4000 करोड़ रुपए दिए गए हैं.

5000 करोड़ रुपए होगी किसानों की आय

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने करीब साव दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हर्बल पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है. आगामी सालों में 4000 करोड़ रुपए के खर्च से हर्बल खेती के तहत 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा. इससे किसानों को करीब 5000 करोड़ रुपए की आय होगी.

इतना ही नहीं, हर्बल पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क भी होगा. हर्बल खेती किसानों की आय दोगुनी करने में भी मददगार साबित होगी. अश्वगंधा, गिलोय, भृंगराज, सतावर, पुदीना, मोगरा, तुलसी, घृतकुमारी, ब्राह्मी, शंखपुष्पी और गुलर आदि बहुत ऐसी हर्बल फसलें हैं, जिनकी खेती किसान भाई कर सकते हैं. किसान फसल विविधता अपनाएं और खेत खाली होने के बाद अगर उसमें हर्बल पौधों की खेती करें तो अच्छा मुनाफा ले सकते हैं.

इन फसलों को ज्यादा देखभाल और पानी की भी जरूरत नहीं होती. कुछ हर्बल पौधे ऐसे हैं, जो काफी कम वक्त में तैयार हो जाते हैं और एक बार बुवाई करने पर किसान कई बार पैदावार हासिल करते हैं. ऐसे में उनकी कमाई काफी तेजी से बढ़ती है जबकि लागत काफी कम हो जाती है. इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए सरकार किसानों को हर्बल पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है.