सरकार ने किसानों की आमदानी बढ़ाने के लिए किया बड़ा ऐलान, 11 हजार करोड़ खर्च होंगे, किसानों और आम आदमी को फायदा होगा।

Parmod Kumar

0
800

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट और सीसीईए की अहम बैठक में  पाम ऑयल मिशन को मंजूरी गई  है. इस पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि अभी भी पाम की खेती हो रही है. लेकिन अब इसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि खाने के तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से छोटे किसानों के लिए ये ज्यादा फायदेमंद नहीं था. वहीं, नॉर्थ ईस्ट में प्रोसेसिंग इंडस्ट्री नहीं है. इसीलिए अब सरकार नेशनल एडिबल ऑयल मिशन शुरू कर रही है.

आपको बता दें कि भारत की आबादी में हर साल करीब 2.5 करोड़ लोग जुड़ते जा रहे हैं. इसके हिसाब से खाने के तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान है.

मौजूदा समय में एक साल में भारत सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है. देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाने के तेल की जरूरत होती है.

तिलहन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, खाद्य तेल पर नेशनल मिशन को लागू करने की मिली मंजूरी

खाद्य तेल की आवश्यकता की पूर्ति हो और उत्पादन बढ़े. इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिल कर काम कर रही है और उसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं.

पाम ऑयल मिशन

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि पाम ऑयल मिशन का मुख्य उद्देश्‍य किसानों को ताजे फलों के गुच्छों के लिए सुनिश्चित व्यवहारिक मूल्य प्रदान करना है.

अगले 5 वर्षों में  11,040 करोड़ की कुल लागत वाले मिशन उत्तर-पूर्वी राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 के साथ पाम ऑयल रोपण के अंतर्गत 6.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को शामिल किया जाएगा.

रबी सीजन के वक्त हमने अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को लोगों के बीच वितरित किया, जिससे उत्पादन और रकबे में बढ़ोतरी हुई. लेकिन अभी भी हमें अपनी आपूर्ति के लिए तेल आयात करना पड़ता है. इसमें बड़ा हिस्सा पाम ऑयल का है. कुल तेल आयात का 56 प्रतिशत पाम ऑयल है.

आईसीएआर ने बताया था कि 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम की खेती की जा सकती है. इसमें से एक बड़ा हिस्सा पूर्वोत्तर में है.

छोटे किसान के लिए पाम की खेती मुश्किल है क्योंकि फसल लगाने के 5 और पूरी तरह से 7 साल बाद पैदावार मिलती है. इसके अलावा दाम के उतार चढ़ाव के कारण भी छोटे किसानों के लिए पाम की खेती चुनौतीपूर्ण है.

पूर्वोत्तर भारत में लॉजिस्टिक से लेकर तमाम समस्याएं हैं. वहां उत्पादन भी अगर होगा तो इंडस्ट्री नहीं है. इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने ऑयल पाम मिशन की शुरुआत की और तमाम समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए गए.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भाव को लेकर हमने एमएसपी जैसी सुविधा बनाई है. इसके अलावा अगर भाव गिर गए तो किसानों को केंद्र सरकार डीबीटी के माध्यम से सीधे पैसे मुहैया कराएगी. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी.

वहीं पौध की कमी को दूर करने के लिए 15 एकड़ तक की नर्सरी के लिए 5 करोड़ रुपए और पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का निर्णय किया गया है. इस काम में कुल 11,040 करोड़ रुपए का खर्च आएगा.

कृषि मंत्री ने कहा कि 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है पाम की खेती और आगे चलकर यह 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हो जाएगी. वहीं उत्पादन के मामले में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि 2029-30 तक 28 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है.