हरियाणा सरकार ने चावल मिल मालिकों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने राइस मिलर्स से धान की मिलिंग पर ली जाने वाली बैंक गारंटी राशि यानि सिक्योरिटी को आधी कर दिया है। अभी तक चावल मिल मालिकों को पांच प्रतिशत सिक्योरिटी देनी पड़ती थी, लेकिन राइस मिलर्स के आग्रह को स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार यह राशि अब ढ़ाई प्रतिशत लेगी। जिन चावल मिल मालिकों पर कोई लोन नहीं है और वह स्वयं मिल के मालिक हैं, उनसे सिक्योरिटी राशि मात्र एक प्रतिशत ली जाएगी।
पहले पांच प्रतिशत बैंक सिक्योरिटी की जाती थी वसूल, अब ढ़ाई प्रतिशत राशि ही करानी होगी जमा
हरियाणा सरकार के इस फैसले से सैकड़ों चावल मिल मालिकों को राहत मिलेगी। हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन और सरकार के बीच वार्ता के बाद बुधवार को सरकार ने यह आदेश जारी किया है। कुरुक्षेत्र के भाजपा विधायक सुभाष सुधा और अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल के प्रयासों से चावल मिल मालिकों को यह राहत मिल पाई है। चावल मिल मालिक पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर थे। वह चाहते थे कि मिलिंग सिक्योरिटी राशि पांच प्रतिशत को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी।
वास्तविक व लोन रहित चावल मिल मालिकों के लिए विशेष सुविधा, एक प्रतिशत ही देनी होगी बैंक गारंटी
दोनों भाजपा विधायक राइस मिलर्स की इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिले थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने सिक्योरिटी राशि खत्म करने से इन्कार कर दिया था। मुख्यमंत्री का कहना था कि सिक्योरिटी पूरी तरह से खत्म करने से किसी चावल मिल मालिक की कोई जवाबदेही नहीं रह जाएगी और यदि किसी अनहोनी पर सरकार को जवाबतलबी करनी पड़ी तो वह किससे करेगी। इसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारी मंगलवार रात को डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से मिले। चौटाला के पास खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय भी है। मुख्यमंत्री से बात करने के बाद उप मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि मिलिंग सिक्योरिटी राशि पांच की बजाय ढ़ाई प्रतिशत वसूल की जाएगी। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने यह आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल ने बुधवार रात को बताया कि सरकार द्वारा मिल मालिकों को राहत देने के बाद बुधवार को मंडियों में धान की सुचारू खरीद हुई। राइस मिलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला, प्रधान हंसराज सिंगला और उपाध्यक्ष विनोद गोयल ने बताया कि सिक्योरिटी राशि का मतलब यह होता कि यदि सरकार ने किसी मिल संचालक को 70 हजार क्विंटल धान मिलिंग के लिए दिया तो उसकी कुल कीमत करीब 14 करोड़ रुपये होगी। पांच प्रतिशत बैंक गारंटी के हिसाब से यह राशि 70 लाख रुपये बैठेगी, जो मिल मालिक को सरकार के पास जमा करानी होगी। अब सरकार ढ़ाई प्रतिशत के हिसाब से मात्र 35 लाख रुपये लेगी। हंसराज सिंगला व उपाध्यक्ष विनोद गोयल ने बताया कि मंडियों में धान की खरीद सुचारू हो चुकी है। तीन दिनों से जो धान मंडियों में रुका पड़ा था और खराब हो गया था, बुधवार को उसकी भी खरीद की गई है। धान की खरीद के पास आउटगोइंग पास जारी किए जाते हैं, लेकिन वर्कलोड की वजह से वह बुधवार रात तक जारी नहीं हो पाए, जिस कारण माल की खरीद के बाद वह मंडियों से बाहर नहीं जा सका है। इस अव्यवस्था को दुरुस्त कराने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिये।
दो लाख 64 हजार 146 टन धान की खरीद
हरियाणा की छह मंडियों में बुधवार को एक लाख 17 हजार टन धान की खरीद की गई है। धान उत्पादक जिलों अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर व पंचकूला में यह खरीद हुई। सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल ने बताया कि राज्य की 200 मंडियों में कुल 2 लाख 64 हजार 146 टन धान की खरीद की जा चुकी है। 1960 रुपये के एमएसपी पर यह धान खरीदा गया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि बृहस्पतिवार से राज्य की मंडियों में धान की खरीद पूरी तरह से सुचारू हो जाएगी।