राजस्थान पहुंची पंजाब के सियासी घमासान की आंच, गहलोत और पायलट कैंप के नेता फिर सक्रिय, हाईकमान की मुश्किलें बढ़ेंगी।

Parmod Kumar

0
342

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से हटने के बाद अब राजस्थान की सियासत में भी हलचल है. कांग्रेस पार्टी की अकेले दम पर सिर्फ तीन राज्यों में सरकार है और हर जगह कांग्रेस में अंदरूनी कलह अब किसी से छिपी नहीं है. जिस तरह से पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री के पद से अमरिंदर सिंह को हटाने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू अभियान छेड़े हुए थे, ठीक उसी तरह से पायलट खेमा अशोक गहलोत के पीछे पड़ा है. यानी अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी कुछ ऐसा ही दबाव बनाया जाएगा.

दरअसल, मीडिया खबरों के मुताबिक पंजाब में हुए बदलाव से राजस्थान में भी सचिन पायलट खेमे में खुशी का माहौल है और एक बार फिर से यहां अशोक गहलोत को हटाए जाने की मांग जोर पकड़ सकती है. वहीं, सूबे के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आपसी मतभेद को एक साल से भी ज्यादा का समय बीत गया है. वहीं, कांग्रेस आलाकमान के दखल देने के बाद दोनों नेताओं के खेमों के बीच सीजफायर जरूर हुआ लेकिन अभी भी पायलट खेमे के विधायकों में कैबिनेट फेरबदल का वादा पूरा न किए जाने को लेकर नाराजगी चल रही है.

पायलट खेमें में नेता हुए एक्टिव

गौरतलब है कि पायलट के एक करीबी नेता ने बताया कि ‘हमें जल्द ही अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि सचिन पायलट की राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई आला नेताओं से पहले ही मुलाकात हो गई है और उन्हें यकीन है कि आने वाले कुछ हफ्तों में कांग्रेस आलाकमान कोई बड़ा फैसला ले सकती है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश में स्थिति पंजाब से बिल्कुल अलग है क्योंकि गहलोत की अभी भी पार्टी पर पकड़ है, जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी ही पार्टी के लोग सीएम पद पर नहीं देखना चाहते थे. वहीं, पंजाब में मार्च 2022 में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि राजस्थान विधानसभा चुनावों में अभी 2 साल से ज्यादा का समय बाकी है.

कांग्रेस आलाकमान को खोजना होगा जल्द से जल्द सॉल्यूशन

बता दें कि सूत्रों के अनुसार राजस्थान में पंजाब जैसा हाल नहीं हो सकता है. क्योंकि गहलोत गांधी परिवार के काफी करीबी हैं. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि पार्टी नेतृत्व को नेताओं की नाराजगी दूर करने का तरीका खोजना पड़ेगा. क्योंकि समय बहुत तेजी से हाथ से निकल रहा है. वहीं, एक अन्य कांग्रेस नेता ने बताया कि पंजाब के बाद राहुल गांधी का अगला टारगेट राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही होंगे, जहां भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच भी घमासान जारी है. हालांकि, गहलोत के करीबियों के अनुसार अमरिंदर और राजस्थान सीएम में सबसे बड़ा अंतर ये है कि कैप्टन मुख्यमंत्री पद के लिए हाईकमान की पसंद नहीं थे, जबकि गहलोत को दिल्ली ने ही सीएम घोषित किया था. इसके अलावा गहलोत के समर्थन में 100 से ज्यादा विधायक हैं.