ज्वार में बढ़ रहा ग्रे मोल्ड रोग का प्रकोप, फसल को बचाने के लिए इस दवा का करें छिड़काव !

parmodkumar

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उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में किसान ज्वार फसल में भूरा फफूंद (ग्रे मोल्ड) रोग के प्रकोप से प्रभावित हैं. यह रोग ज्वार की बालियों को सड़ा देता है, जिसकी वजह से फसल के दाने खराब हो जाते हैं. तो चलिए जानते हैं इसके बचाव के उपाय !

आजकल किसान ज्वार की खेती जमकर कर रहे हैं. ज्वार एक प्रमुख फसल है. यह फसल कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाजकृषि विभाग के अनुसार, भूरा फफूंद (ग्रे मोल्ड) रोग से ज्वार फसल को बचाने के लिए किसान मैंकोजेब 75% WP 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 ली…  और चारा दोनों के लिए बोई जाती है. ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा है. यह खरीफ की मुख्य फसलों में है. यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं. गेहूं, चावल, दाल तिलहन के अलावा देश के किसान अब श्रीअन्न फसलों की खेती भी कर रहे हैं. लेकिन इन फसलों में होने वाले रोग से कई किसानों को काफी नुकसान भी हो रहा है. इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में किसान ज्वार फसल में भूरा फफूंद (ग्रे मोल्ड) रोग के प्रकोप से प्रभावित है !

यह रोग ज्वार की बालियों को सड़ा देता है, जिसकी वजह से फसल के दाने खराब हो जाते हैं. कीड़े लगने से फसलों की उपज कम हो जाती है. इसके साथ ही अनाज की गुणवत्ता भी गिर जाती है. यूपी कृषि विभाग की ओर से किसानों की फसलों को रोग से बचाने के उपाय बताएं हैं !

किसानों के फसल को बर्बाद कर रहा ग्रे मोल्ड रोग
ग्रे मोल्ड रोग, जिसे वैज्ञानिक रूप से बोट्राइटिस सिनेरेआ कहा जाता है, एक खतरनाक फंगल संक्रमण है जो किसानों की फसलों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. यह रोग मुख्य रूप से ठंडे और नम मौसम में फैलता है. यह ज्वार के अलावा टमाटर, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, गोभी, और फूलों वाली फसलों जैसे अनेक पौधों को बर्बाद कर सकता है. इस रोग की वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को कम कर देता है !

क्या है ग्रे मोल्ड रोग का शुरुआती लक्षण?
ग्रे मोल्ड रोग का शुरुआती लक्षण में पौधों पर भूरे धब्बे दिखते हैं जो धीरे-धीरे पूरे पौधे को ढक लेते हैं !. इसके अलावा शुरुआती समय में यह बीमारी सफेद रंग की फफूंद बालियों पर दिखाई देती है. इससे ज्वार की बाली में जो दाने बनते वह भद्दे और उनका रंग हल्का गुलाबी या काला हो जाता है. फफूंद की वजह से ये दाने हल्के और भुरभुरे होते हैं, इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है !

क्या है इस रोग का उपाय?
इस बीमारी से बचाव के लिए, किसान कुछ प्रभावी कदम उठा सकते हैं. सबसे पहले, फसलों को पर्याप्त धूप और हवा वाले जगह पर रखें. इससे पौधे में होने वाला फंगल संक्रमण नहीं होता है. इसके अलावा, फसलों की नियमित निगरानी और संभावित संक्रमित पौधों को बचाने के लिए कई उपाय करने होते हैं.कृषि विभाग के अनुसार, भूरा फफूंद (ग्रे मोल्ड) रोग से ज्वार फसल को बचाने के लिए किसान मैंकोजेब 75% WP 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 ली !