कुम्भ में आयी एक्टिंग छोड़कर दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला साध्वी
उत्तराखंड की साध्वी का सफर: जब भक्ति की राह चुनी
साध्वी बनने का निर्णय
उत्तराखंड से आई आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या ने अपने साध्वी जीवन के सफर के बारे में खुलकर चर्चा की। 30 वर्षीय साध्वी, जो पहले एंकरिंग और एक्टिंग में सक्रिय थीं, ने बताया कि उन्होंने भक्ति का मार्ग क्यों चुना।
उन्होंने कहा, “जिंदगी में सब कुछ करने के बाद भी सुकून नहीं मिला। नाम और शोहरत होने के बावजूद कुछ कमी सी महसूस होती थी। जब भगवान की भक्ति ने अपनी ओर खींचा, तब जाकर मुझे सुकून मिला। अब भजन-कीर्तन और मंदिरों में रहकर मन को शांति मिलती है।”
महाकुंभ 2025: सनातन धर्म की भव्यता
महाकुंभ के महत्व पर चर्चा करते हुए साध्वी ने बताया कि 13 तारीख से महाकुंभ की भव्य शुरुआत होगी। “यह सिर्फ भारत के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक विशेष अवसर है। विदेशी भी इस आयोजन में हिस्सा लेंगे। हमारी सनातन संस्कृति अब दुनिया भर में फैल रही है, जो बहुत गर्व की बात है।”
उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया, “यह पल 144 साल बाद आया है। हर किसी को इस अमृतधारा में स्नान कर अपने कष्ट और रोगों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। जो नहीं आ सकते, वे भी इस पर्व की महत्ता को महसूस करें और ईश्वर का नाम जपें।”
परिवार और गुरु के साथ साध्वी जीवन
अपने परिवार के बारे में पूछे जाने पर साध्वी ने कहा कि परिवार से बातचीत कम होती है, लेकिन उन्होंने उन्हें पूरी तरह त्यागा नहीं है।
उन्होंने अपने गुरु, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंद गिरी जी महाराज, निरंजनी अखाड़ा के मार्गदर्शन में चल रहे अपने साध्वी जीवन के अनुभव भी साझा किए। “गुरु के सानिध्य में साधना और तपस्या करना मुझे आत्मिक शांति देता है।”
जीवन का संदेश
साध्वी ने कहा, “जीवन में सच्चा सुकून भगवान की शरण में ही मिलता है। जो लोग सांसारिक चीजों में उलझे हुए हैं, उन्हें एक बार भक्ति के मार्ग पर जरूर आना चाहिए।”
महाकुंभ में भाग लेने और जीवन को शुद्ध करने का यह विशेष अवसर कोई भी न चूके।