जजपा भी इस सीट से चुनाव लड़ सकती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला यहां से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने का एक कारण भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से जजपा प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की जिद भी है। अजय चौटाला ने बंसीलाल के गढ़ तोशाम से प्रचार शुरू कर दिया था। इसके अलावा चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान भी लोकसभा जाने के इच्छुक हैं।
भाजपा से चौधरी धर्मवीर के नाम की घोषणा होने से काफी पहले से श्रुति चौधरी को इस सीट पर कांग्रेस का दावेदार माना जा रहा है, मगर धर्मवीर सिंह के फिर से मैदान में आने के बाद पुराना इतिहास दोहराने का डर भी सता रहा है। ऐसे में कांग्रेस सबसे अहम अहीर यानि राव मतदाताओं को साधने के लिए राव दान सिंह के नाम विचार कर सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खासमखास राव दान सिंह फिलहाल महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के विधायक हैं और इलाके में मजबूत पकड़ भी रखते हैं। हालांकि पिछले चुनावों की बात करें तो धर्मवीर सिंह अहीरवाल क्षेत्र में काफी मजबूत रहे थे। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह भी कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं। 2019 में वे कांग्रेस के टिकट पर दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं।
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी। इससे भिवानी संसदीय क्षेत्र था, जो 1977 में अस्तित्व में आया था। तब महेंद्रगढ़ जिला नहीं था। इससे पहले भिवानी का क्षेत्र हिसार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। 1977 से लेकर अब तक यहां से पांच बार कांग्रेस और दो बार लगातार भाजपा को जीत मिली है।