रोगी को सांस लेने में नहीं होगी परेशानी ,फेफड़ों की खतरनाक बीमारी है COPD, पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन करेगा मदद !

parmodkumar

0
85

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक लॉन्ग टर्म क्रोनिक फेफड़ों की बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। सीओपीडी में एयरवे ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती हैं, जिससे खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 2019 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, सीओपीडी दुनिया भर में 212 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है, जिसमें भारत में 5.5 करोड़ मामले हैं, जहां यह मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

मुंबई के कंसल्टेंट चेस्ट फिजिशियन डॉ.कमलेश कुमार पांडे ने बताया कि सीओपीडी मैनेजमेंट के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई इनहेलेशन थेरेपी महत्वपूर्ण है, लेकिन पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन (पीआर) इस बीमारी के रोजमर्रा के प्रभाव को कम करने के लिए एक प्रभावी तरीका है, जिसके बारे में लोगों को जानकारी बहुत कम है। इसलिए, इस विश्व सीओपीडी दिवस पर पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के बारे में जानते हैं।

सांस लेने की तकनीक

फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और सांस की तकलीफ को कम करने के लिए पर्स-लिप ब्रीदिंग से तरीके सिखाए जाते हैं। ये तकनीकें रोगियों को रोजमर्रा के काम को अधिक आसानी से मैनेज करने में मदद करती हैं।

जानकारी और जागरुकता

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम पेशेंट्स को सीओपीडी प्रबंधन के बारे में जानकारी देता है, जिसमें दवाओं का उपयोग, ऑक्सीजन थेरेपी और सांस फूलने से निपटने की रणनीतियां शामिल हैं। इसमें पेशेंट्स अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना और अपनी स्थिति को प्रभावी ढंग से मैनेज करना सीखते हैं।

पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन क्यों मायने रखता है

सीओपीडी एक बीमारी है जो बढ़ते टाइम के साथ और बिगड़ती जाती है। इसकी देखभाल और मैनेजमेंट के बिना, रोगियों के लक्षण बिगड़ सकते हैं और बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की मदद से मरीज अपनी बीमारी को मैनेज करने का तरीका सीखकर इन खतरों से बच सकते हैं।

शारीरिक एक्टिविटी है जरूरी

सीओपीडी मैनेजमेंट के लिए फिजिकल एक्टिविटी महत्वपूर्ण होती है। सीओपीडी पेशेंट्स में शारीरिक गतिविधि का काम होना मृत्यु दर को बढ़ा सकता है। सीओपीडी मैनेट करने के लिए चलना या साइकिल चलाना जैसी एंड्यूरेंस एक्सरसाइज के साथ-साथ मसल्स फंक्शन और सहनशक्ति में सुधार के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी शामिल है। धीरे-धीरे ये व्यायाम रोगी की सांस फूलने की दिक्कत को कम करके फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाने में मदद करते हैं।