हरियाणा सरकार की ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ योजना के जरिए गेहूं बेचने का घोटाला किया गया, 250 लोगों के खातों में आए 50-50 लाख तो शुरू हुई जांच।

Parmod Kumar

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पलवल जिले में एक और नया घोटाला सामने आया है। इस बार हरियाणा सरकार की ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ योजना के जरिए गेहूं बेचने का घोटाला किया गया। 250 लोगों ने इस योजना में फर्जी दस्तावेजों के जरिये रजिस्ट्रेशन किया और यूपी व राजस्थान आदि राज्यों से सस्ती दर पर गेहूं खरीदकर पलवल में ऊंची दर पर बेच दिया। सरकार की ओर से इनके खातों में 50-50 लाख रुपये की पेमेंट आई तो अधिकारियों का माथा ठनका। सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन को जांच करने को कहा गया है। सरकार के निर्देश पर जांच के लिए एडीसी की अध्यक्षता तीन अधिकारियों की समिति बना दी गई है। समिति जांच करेगी कि इन 250 लोगों की कितनी जमीन है और इसमें कितना गेहूं पैदा हो सकता है।

एडीसी के नेतृत्व में बनी टीम करेगी जांच
जिले में एक के बाद एक घोटाला निकल कर सामने आ रहा है। जमीन अधिग्रहण, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, पंचायत विभाग के बाद अब मेरी फसल मेरा ब्यौरा का घोटाला उजागर हुआ है। इस घोटाले की जांच के लिए गुरुवार को एडीसी सतेन्द्र कुमार दूहन के नेतृत्व में बनी तीन सदस्यीय समिति में जिला उपायुक्त नरेश नरवाल ने खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सहरावत और जिला कृषि अधिकारी महाबीर मलिक को शामिल किया है।

सीमए ने शुरू की है योजना
सीएम मनोहर लाल ने 5 जुलाई 2019 को ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ योजना शुरू की। इसके माध्यम से एक पोर्टल लॉन्च किया गया है जिसमें किसानों को कृषि योजना से जुड़ी जानकारी दी जाती है और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। पोर्टल पर अपनी फसल से जुड़ी जानकारी अपलोड करनी होती है और उसके बाद वह फसल और जमीन के अनुकूल राज्य में चल रही सभी कृषि योजनाओं का लाभ उठा सकता हैं। किसान अपनी निजी जमीन पर बोई गई फसल का ब्यौरा देता है और इसी आधार पर उसकी फसल उपज की खरीद तय की जाती है। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास आधार कार्ड, एक्टिव मोबाइल नम्बर, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी, रेवेन्यू रिकॉर्ड के नकल की कॉपी, खसरा नंबर, फसल की पूरी जानकारी आदि होनी चाहिए। रजिस्ट्रेशन के बाद ही फसल को सरकार अपनी दरों पर खरीदती है।

रिकवरी होगी और फ्रॉड का मुकदमा दर्ज होगा
जिले के अंदर गेहूं की खरीद में भारी घोटाला हुआ है। मंडियों में करीब 250 किसानों के नाम पर 50-50 लाख रुपये से अधिक का गेहूं खरीदा गया। इतना बड़ा अमाउंट देखकर सरकार हैरान रह गई। इस पर सरकार ने रिपोर्ट मांगी है जिन किसानों ने 50-50 लाख रुपये का गेंहू बेचा है इनके पास कितनी जमीन है और ये कहां रहते हैं। इनका जमीन का रेकॉर्ड और फसल का ब्यौरा मांगा गया है। अगर 50 लाख रुपये के गेहूं पैदा करने लायक जमीन न हुई तो रिकवरी होगी और फ्रॉड का मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। जांच में यह भी देखा जाएगा कि इसमें सरकारी कर्मचारी तो नहीं मिले हैं।

इस प्रकार हुआ घोटाला
कुछ लोगों ने सरकारी अधिकारियों से मिलकर पोर्टल पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण करवा दिया। इन लोगों ने यूपी और राजस्थान से सस्ती दर पर गेंहू और बाजरा खरीदा और उसके बाद पंजीकरण के आधार पर पलवल जिले की मंडियों में सरकारी भाव पर बेच दिया। यह भाव उनकी खरीद से अधिक बताया जा रहा है। जिसके कारण एक-एक किसान के खाते में 50-50 लाख रुपये जमा हो गए। विभागीय अधिकारियों की इस पर नजर पड़ी तो जांच के आदेश जारी किए। माना जा रहा है कि इस तरह का घोटाला अन्य जगहों पर भी हो सकता है। पता किया जाएगा कि कहीं यह संगठित गिरोह तो नहीं है जो बगैर जमीन के गेहूं की फसल सरकार को बेच रहा है। डीसी नरेश नरवाल के हवाले से बताया गया कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा घोटाला की जांच के लिए एडीसी की अध्यक्षता में कमिटी गठित की गई है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।