सुप्रीम कोर्ट ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और कीमतों को लेकर तंत्र बनाने कि मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार और यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब तथा हरियाणा समेत 16 राज्यों को नोटिस जारी किया है. सभी सरकारों को तीन सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करना है. CJI एनवी रमना कि अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक फैसला है. वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने किसानों का पक्ष रखते हुए कहा कि वह 2014 का है, जो यूपी के लिए था. हम पूरे देश में इसी तरह के आदेश की मांग कर रहे हैं. अभी ऐसा कोई मामला लंबित नहीं है. CJI रमना ने सभी राज्यों के बकाये के बारे में पूछा. वकील ग्रोवर ने कहा कि अभी 18,000 करोड़ बकाया हैं. राज्य को चीनी उत्पादन के मद्देनजर तत्काल इसका भुगतान करना चाहिए. हम नोटिस जारी कर रहे हैं. मामले को तीन हफ्ते बाद सूचिबद्ध किया जाए. केंद्र और संबंधित राज्य इससे पहले अपना जवाब दाखिल करें.
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने अभी तक नहीं चुकाए 8000 करोड़ रुपये
उत्तर प्रदेश सरकार के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के 26 जुलाई, 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक चालू पेराई सीजन (2020-21) में राज्य की चीनी मिलों ने कुल 10.275 करोड़ टन गन्ने की पेराई की है.
इसके लिए गन्ना किसानों को अभी तक 25,056.03 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है जो कुल भुगतान का 75.87 फीसदी है.अभी तक 24.13 फीसदी मूल्य का भुगतान नहीं हुआ है.
पूरे साल के भुगतान का आकलन करने पर चालू सीजन में गन्ना मूल्य भुगतान 33,024.95 करोड़ रुपये बनता है. इस आकलन के आधार पर 26 जुलाई तक चीनी मिलों पर किसानों का 7,968.92 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है.
नया सीजन शुरू होने में बचे हैं सिर्फ 2 महीने
अब नया सीजन शुरू होने में करीब दो माह का वक्त बचा है और चीनी मिलों पर करीब आठ हजार करोड़ रुपये का बकाया है.वह भी ऐसे समय में जब कोरोना महामारी में देश में आम आदमी की आर्थिक हालत काफी कमजोर हो गई है.
उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में गन्ना किसान सीमान्त और लघु किसान कि श्रेणी में आते हैं जिनकी जोत का आकार एक हेक्टेयर से भी कम है. देरी से भुगतान की स्थिति में इनकी आर्थिक मुश्किलों को समझा जा सकता है.