BJP ऑफिस तक सड़क बनाने के लिए काट डाले 40 पेड़, सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को लगाई फटकार, सुनाया ये फैसला

parmodkumar

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चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा के करनाल में बीजेपी कार्यालय तक सड़क बनाने के लिए ग्रीन बेल्ट में लगे 40 पेड़ों को काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) को फटकार लगाते हुए तीन महीने के भीतर ग्रीन बेल्ट बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकार अपनी कार्रवाई की वैधता साबित करने में असफल रही है और उसका दिया गया स्पष्टीकरण सिर्फ दिखावा और अदालत को गुमराह करने की कोशिश है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने हरियाणा सरकार और एचएसवीपी द्वारा पेश किए गए तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
एचएसवीपी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने दलील दी थी कि पेड़ों को सड़क चौड़ी करने के लिए काटा गया था। सेक्टर 9 के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) से सहमति ली गई थी और अनिवार्य वृक्षारोपण भी किया गया है। लेकिन बेंच ने पूछा कि ग्रीन बेल्ट को नुकसान पहुंचाकर सड़क चौड़ी करने की आखिर क्या जरूरत थी। अदालत ने कहा कि सरकार यह नहीं समझा सकी कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हरित क्षेत्र को कैसे खत्म किया जा सकता है। हालांकि याचिकाकर्ता ने बीजेपी को 2018 में प्लॉट आवंटन को भी चुनौती दी थी, पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने पुराने आवंटन की समीक्षा नहीं की जा सकती। कोर्ट ने यह आदेश दिया कि ग्रीन बेल्ट को मूल स्थिति में बहाल किया जाए। बीजेपी कार्यालय तक पहुंचने के लिए बनाई गई चौड़ी सड़क को वापस पूर्व स्थिति में लाया जाए। एचएसवीपी तीन महीने के भीतर स्थल की तस्वीरों सहित विस्तृत रिपोर्ट अदालत को सौंपे।

1971 युद्ध वीरता पदक विजेता की याचिका
यह मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसे 1971 के युद्ध के वीर चक्र विजेता 79 वर्षीय राजपूत ने दायर किया था। राजपूत ने कहा कि वे युद्ध में घायल हुए थे और वीर चक्र से सम्मानित हैं। उन्होंने करनाल के सेक्टर 9 अर्बन एस्टेट में HSVP से 1000 वर्ग गज का प्लॉट खरीदा था। लेकिन उनके आवासीय क्षेत्र से सटी ग्रीन बेल्ट को बीजेपी कार्यालय के लिए सड़क बनाने हेतु नष्ट कर दिया गया। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 3 मई को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि विकास कार्यों के नाम पर पर्यावरण और ग्रीन बेल्ट से समझौता नहीं किया जा सकता। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है बल्कि नियमों के खिलाफ भी है।