भाजपा के लिए आसान नहीं हरिद्वार का चुनावी समर चुनाव प्रबंधन की कड़ी परीक्षा

Parmod Kumar

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इन्हीं चुनौतियों के कारण पार्टी को इस सीट पर जिताऊ प्रत्याशी की तलाश के लिए तगड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस सीट पर पार्टी के चुनाव व बूथ प्रबंधन की भी परीक्षा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में हारी 23 विधानसभा सीटों में सात अकेले हरिद्वार जिले से हैं। इनमें भगवानपुर, झबरेड़ा, ज्वालापुर, हरिद्वार ग्रामीण व पिरान कलियर सीट कांग्रेस के पास है, मंगलौर और लक्सर में बसपा और खानपुर निर्दलीय ने जीती थी।

हरिद्वार जिले में भाजपा 11 में से सिर्फ तीन सीटों पर है। जबकि 2017 के चुनाव में भाजपा ने 11 में से आठ सीटें जीतीं थी। यानी 2019 के चुनाव में भाजपा हरिद्वार जिले में राजनीतिक तौर पर अधिक मजबूत थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से जिले में राजनीतिक रूप से वह उतनी सशक्त नहीं है। यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर काफी सोच-विचार करना पड़ रहा है।

जानकारों के मुताबिक, हरिद्वार लोस से लगातार दो बार सांसद रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा पार्टी दूसरे दावेदारों के नामों पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के अलावा दो बड़े संत भी दावेदार बताए जा रहे हैं। लेकिन पार्टी को संसदीय सीट पर जातीय समीकरणों के हिसाब से जिताऊ चेहरे की तलाश है।

2022 के विधानसभा चुनाव में 11 में से पांच सीटें गंवाने के बाद प्रदेश संगठन हरिद्वार जिले में चुनाव प्रबंधन में जुट गया था। पार्टी ने हारी हुई 23 विधानसभा सीटों पर बूथ प्रबंधन को लेकर विशेष अभियान चलाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट इन हारी सीटों में जाकर लाभार्थी सम्मेलन के जरिये पार्टी के पक्ष में वातावरण बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में ही पार्टी के चुनाव और बूथ प्रबंधन की असल परीक्षा होगी। मिसाल के तौर पर भाजपा भगवानपुर, मंगलौर, खानपुर, ज्वालापुर और हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में 537 बूथों में पीछे रही। पार्टी ने इन बूथों को मजबूत करने के लिए खास योजना बनाई। इनमें अपने विधायकों और सांसदों और सरकार के मंत्रियों को भेजा।