फरीदाबाद अभी भी लोगों को इस बात का भ्रम है कि उनको अगर एकबार कोरोना हुआ और फिर वो ठीक हो गए तो उनको दोबारा कोरोना नहीं हो सकता। भारत में अलग-अलग राज्यों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां पर एकबार कोरोना से ठीक होने के बाद भी दोबारा कोरोना की जद में आ गए। इन मामलों से एकबात और साफ हो रही है कोरोना से आपको बचाने वाली एंटीबॉडी ज्यादा समय तक साथ नहीं देती। लोगों में इसबात को कहते सुना गया है कि अब उनके एंटीबॉडी बन चुकी है और उनको डर नहीं है लेकिन हकीकत ये है कि एंटीबॉडी भी शरीर में 60 से 80 दिन तक ही काम करती है उसके बाद खत्म हो जाती है। फरीदाबाद में 23 लोगों को दोबारा संक्रमण ने जकड़ लिया है।
23 ऐसे लोगों में फिर से कोरोना संक्रमण पाया गया
ईएसआईसी ने बुधवार को इस बात का खुलासा किया कि शहर में 23 ऐसे लोगों में फिर से कोरोना संक्रमण पाया गया है, जिन्हें पहले संक्रमण मुक्त घोषित किया जा चुका था। इनमें से ज्यादातर ईएसआईसी कॉलेज का स्टाफ व अन्य लोग शामिल हैं। हालांकि, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और ईएसआईसी ने शोध की आवश्यकता जताई है। इनमें से ज्यादातर मरीज संक्रमण मुक्त घोषित होने के 1 महीने या 70 दिन के बाद दोबारा पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 2 या 3 मरीजों में 20 दिन बाद ही फिर से संक्रमण मिलने की बात सामने आई है। विभाग की ओर से जारी मंगलवार के आंकड़ों के अुनसार जिले में अब तक 16,407 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 14,446 स्वस्थ भी हो गए हैं। लेकिन, संक्रमण मुक्त घोषित किए जा चुके लोग फिर से कोरोना की चपेट में आते दिख रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट होने पर संक्रमण की रफ्तार में तेजी आने की आशंका भी जताई जा रही है।
सभी में पहले भी हल्के लक्षण थे
ईएसआईसी के मुताबिक दोबारा संक्रमित पाए गए 23 लोगों में से पहले भी अधिकतर की सेहत ठीक थी। केवल कुछ लोग ही बीमार थे। पहली दफा संक्रमण के दौरान सभी में माइल्ड लक्षण थे। उन्होंने बताया कि 23 में से ज्यादातर मरीज संक्रमण मुक्त घोषित होने के 1 महीने या 70 दिन के बाद दोबारा पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 2 या 3 लोग ऐसे हैं, जिनमें महज 20 दिन बाद ही फिर से संक्रमण मिला है। डिप्टी डीन ने बताया कि शरीर में एंटीबॉडी 14 दिन बाद आ जाती है, जो दो से ढाई महीने तक रहती है। जिन लोगों को फिर से कोरोना हुआ है, उनमें से केवल 30 प्रतिशत में ही एंटीबॉडी बनी है और बाकी 70 प्रतिशत में एंटीबॉडी बनी ही नहीं।
शोध की है आवश्यकता
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डिप्टी डीन डॉ. एके पांडे ने बताया कि दोबारा से संक्रमण होने के कई कारण हो सकते हैं और इस पर शोध की आवश्यकता है। उनके अनुसार ठीक हुए व्यक्ति में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित नहीं हो पाई होंगी या फिर मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हैं। उन्होंने बताया कि हमारे मेडिकल स्टाफ सहित अन्य लोग दोबारा से संक्रमित पाए गए हैं। लोग सोच रहे हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद वह फिर से संक्रमित नहीं होंगे। वह ऐसा गलत सोच रहे हैं क्योंकि कई लोग ऐसे आ रहे हैं जिन्हें फिर से कोरोना हो रहा है। इसलिए लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। – डॉ. रामभगत, उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी