भारत से ऑटोमोबाइल निर्यात में दर्ज की गई गिरावट, वैश्विक स्तर पर मची है आर्थिक उथल-पुथल

Parmod Kumar

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नौतियों के बावजूद, यात्री वाहन सेगमेंट ने लचीलापन दिखाया और निर्यात में 1.4 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस सेगमेंट में मारुति सुजुकी, ह्यूंदै मोटर इंडिया जैसी अग्रणी कंपनियों का दबदबा रहा, जिन्होंने सामूहिक रूप से भारत की वाहन निर्यात क्षमता में योगदान दिया।

हालांकि, दोपहिया वाहन सेगमेंट में निर्यात में 5.3 प्रतिशत की मध्यम गिरावट देखी गई। जो उपभोक्ता मांग और बाजार की गतिशीलता को प्रभावित करने वाली व्यापक वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को दर्शाता है।

इस बीच, वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा, जिसमें शिपमेंट में 16 प्रतिशत की कमी आई। इस गिरावट के लिए प्रमुख निर्यात बाजारों में चुनौतियों और बदलते व्यापारिक संबंधों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

इसी तरह, तिपहिया वाहनों के निर्यात में 18 प्रतिशत की गिरावट आई। जो वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ावों से निपटने में वाहन उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली व्यापक चुनौतियों को रेखांकित करता है।

SIAM के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने विदेशी बाजारों, खासकर उन देशों में अस्थिरता पर रोशनी डाली, जहां भारत की वाणिज्यिक वाहन और दोपहिया वाहन निर्यात में मजबूत मौजूदगी है। इन बाजारों में विदेशी मुद्रा से संबंधित मुद्दों ने निर्यात मात्रा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। जिससे इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण की जरूरत है।
चुनौतियों के बावजूद, ऐसे सकारात्मक संकेत मिलते हैं, जिससे रिकवरी की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष 25 की जनवरी-मार्च तिमाही में दोपहिया वाहन खंड में विशेष रूप से आशाजनक सुधार देखने को मिला। यह सुधार वर्ष के बचे हुए समय के लिए संभावित तेजी का संकेत देता है। जो इस सेक्टर के रिवाइवल और विकास की उम्मीद जगाता है।
वित्तीय वर्ष 25 की पहली तिमाही में देखी गई सुधार से उत्साहित, उद्योग के हितधारक भविष्य के प्रति आशावादी हैं। उद्योग को निर्यात में सकारात्मक ट्रेजेक्टरी की उम्मीद है। खासकर दोपहिया वाहनों जैसे सेगमेंट में, जो आने वाले महीनों में संभावित बढ़ोतरी का संकेत देता है।