पिछले साल के मुकाबले पंजाब में पराली जलाने के मामलों में भारी गिरावट, जानिए वजह?

Parmod Kumar

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पंजाब में पराली न जलाने को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का किसानों पर व्यापक असर हुआ है. नतीजन बीते साल के मुकाबले इस साल राज्य में पराली जलाने के मामलों में भारी गिरावट देखी गई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 6 अक्टूबर तक केवल 320 फसल जलने की घटनाएं हुईं. जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 1,533 मामले दर्ज किए गए थे. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जमीन में नमी और धान के ठंडल भीगे होने के कारण अभी पराली जलाने के मामलों की संख्या कम है, जो आने वाले दिनों में बढ़ सकती है.

आंकड़ों के मुताबिक, इस साल पहला पराली जलाने का मामला 16 सितंबर को सामने आया था. जबकि 42 मामले बीते बुधवार को सामने आए हैं. सबसे ज्यादा 29 मामले सितंबर को सामने आए हैं, जब 64 घटनाएं दर्ज की गई थीं.

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute-आईएआरआई) के डायरेक्टर डॉ एके सिंह ने कहा है कि इस साल कुछ इलाकों में धान का डंठल अभी भी भीगा हुआ है, क्योंकि उत्तर भारत में लगातार बारिश से धान काटने में देरी हुई है. इसलिए यह उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भी पराली जलाने की घटनाएं पहले के वर्षों की तुलना में कम होंगी. किसानों में जागरूकता बढ़ी है और वे केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनओं के बाद डिकंपोजर व अन्य साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ एसके चौधरी का भी कहना है कि इस साल पराली जलाने की घटना पहले के वर्षों से कम हो सकती है, क्योंकि मशीनें बढ़ी हैं और किसानों में जागरूकता आई है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Punjab Pollution Control Board)  के सदस्य सचिव करुणेश गर्ग ने भी कहा है कि इस मौसम में जलने के मामलों में भारी गिरावट आएगी.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी हाल ही में एक बयान में कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर केंद्र को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों से रचनात्मक सहयोग मिला है. यादव ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को करीब 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.