टमाटर के दाम में भारी गिरावट दर्ज हुई है. वहीं आलू का भाव भी लगातार गिर रहा है और आने वाले समय में इसमें और कमी आने की उम्मीद है. जनवरी 2021 के मुताबले आलू और टमाटर के दाम में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है. महाराष्ट्र में थोक टमाटर की कीमतें 3 से 5 रुपए प्रति किलो हैं तो दिल्ली में थोक आलू का भाव 7 से 9 रुपए प्रति किलो चल रहा है.
महाराष्ट्र के नासिक जिले में लासलगांव और पिंपलगांव मॉनसून सीजन के भारत के दो सबसे बड़े टमाटर बाजार हैं. हालांकि, किसानों को उनकी उपज के लिए केवल 3 रुपए से 5 रुपए किलो का भाव ही मिल रहा है. इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है.
टमाटर के निर्यात में तेजी लाने की मांग
इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, अखिल भारतीय किसान सभा के अजीत नवले ने कहा कि किसान टमाटर को बाजार तक पहुंचाने का भारी खर्च उठाने की बजाय इसे फेंक देना पसंद कर रहे हैं. राज्य सरकार के साथ ही विपक्षी दलों के पास भी इस मुद्दे को उठाने को लेकर समय नहीं है. सरकार को इसका कोई हल निकालना चाहिए. वह या तो वित्तीय सहायता दे या प्रोसेसर के साथ मिलकर टमाटर के उपयोग के लिए रास्त निकाले.
भारत से पाकिस्तान को टमाटर का निर्यात पिछले तीन साल से बंद है. लासलगांव एपीएमसी मंडी की अध्यक्ष सुवर्णा जगताप ने मांग की है कि केंद्र सरकार टमाटर के निर्यात में तेजी लाए, जिससे किसानों को उचित मूल्य पाने में मदद मिल सके.
दिल्ली स्थिति आजादपुर मंडी टमाटर व्यापारी संघ के अध्यक्ष अशोक कौशिक ने कहा, ‘दिल्ली या अन्य शहरों में टमाटर सही स्थिति में नहीं पहुंच पा रहे हैं. एक तो ये टमाटर उत्पादन करने वाले शहरों से काफी दूर हैं और दूसरी तरफ, अधिक वर्षा के कारण ये अचानक काफी पक गए हैं. इस वजह से ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ये खराब हो जा रहे हैं. हमलोग उत्तरी राज्यों खासकर, हरियाणा या जम्मू में भी पर्याप्त मात्रा में टमाटर नहीं भेज पा रहे हैं.’
आलू की कीमत भी 50 प्रतिशत तक हुई कम
आलू का भी कमोबेश यहीं हाल है. महीने-दर-महीने के आधार पर देखें तो आलू की कीमतें भी अधिक उत्पादन और कमजोर मांग के कारण 2020 के अपने स्तर से 50 प्रतिशत नीचे चली गई हैं. आजादपुर मंडी के प्याज और आलू व्यापारी राजिंदर शर्मा ने कहा, ‘कोल्ड स्टोरेज में भारी स्टॉक है, जबकि अगली फसल भी बंपर होने की उम्मीद है. बीज की कम कीमतों के कारण इस बार आलू बुवाई के रकबा में भी बढ़ोतरी की संभावना है. वहीं इतनी कम कीमतों के बावजूद, बाजार में आलू की कोई मांग नहीं है.’