फतेहाबाद जिले की गोशालाओं में तूड़ी व हरे चारे का बड़ा संकट आ चूका है। गोशाला संचालकों को मजबूरी में पराली की तूड़ी से काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन इससे पशुओं के दूध उत्पादन पर असर पड़ता है। जो बेसहारा गायें हैं, उनका पेट भरने के लिए पराली काफी है, लेकिन गोशालाओं में दूध देने वाली गायों के दूध उत्पादन पर इसका काफी असर पड़ रहा है।
फतेहाबाद जिले में इस समय गोशालाओं में तूड़ी की मात्रा काफी कम पड़ गई है। बताया जा रहा है की पिछले साल गेहूं के कम उत्पादन व सेम की वजह से गेहूं की फसल के खराब होने के कारण तूड़ी की भयंकर कमी आ गई थी, लेकिन यह ही नहीं हरे चारे की कमी के कारण यह संकट और भी बढ़ गया, क्योंकि जुलाई में आई बाढ़ के कारण यहां पर हरा चारा पूरी तरह से नष्ट हो गया था। जिसके कारण अब पराली की तूड़ी से काम चलाया जा रहा है। गोशाला संचालकों के अनुसार, सड़कों पर बेहसारा घूम रही गायों के लिए पराली की तूड़ी उनका पेट भरने के लिए काफी है, लेकिन दुधारू गायों के दूध उत्पादन में इससे कमी आ रही है।
फतेहाबाद में इस समय 60 गोशालाएं व 7 नंदीशालाएं हैं। इनमें फिलहाल पराली की तूड़ी ही मंगवाई जा रही है। पराली गोशालाओं को 400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से मिलती है, जबकि गेहूं की तूड़ी 750 रुपये प्रति क्विंटल तक पड़ जाता है। हालांकि दूध देने वाली गायों के लिए यह तूड़ी काफी फायदेमंद होती है, लेकिन तूड़ी कम होने के कारण गायों के दूध उत्पादन पर असर पड़ रहा है।