जजपा में लगी इस्तीफों की झड़ी, प्रदेशाध्यक्ष के बाद विधायक जोगीराम सिहाग ने कहा

Parmod Kumar

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सिहाग ने कहा कि मैने केवल पार्टी के पदों से इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा है कि सिहाग पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी रहे हैं। इस करके भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज है। 2019 में टिकट न मिलने से नाराज होकर जोगीराम सिहाग ने भाजपा छोड़ कर जजपा में शामिल हाे गए थे।

पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा ई-मेल के माध्यम से अध्यक्ष अजय चौटाला को भेजा। इस्तीफे में सैनी ने लिखा है, मेरा त्याग पत्र तत्काल प्रभाव से माना जाए। इसके साथ ही जजपा की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य ने भी पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया है।

पार्टी की प्रदेश महिला सचिव ममता कटारिया ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि दुष्यंत चौटाला ने डिप्टी सीएम रहते हुए रतिया हलके को बिल्कुल अनदेखा कर दिया। रतिया में कोई काम नहीं हुआ। 

कैथल के कलायत हल्का से 2019 में कलायत से जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक सतविंद्र राणा ने भी पार्टी छोड़ दी है। सतविंद्र राणा साढ़े चार साल पहले वर्ष 2019 में कांग्रेस से जजपा में शामिल हुए थे। पार्टी छोड़ने को लेकर पूर्व विधायक सतविंद्र राणा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला को अपना इस्तीफा भेजा है।

इस पत्र में राणा ने पार्टी हाईकमान पर साढ़े चार साल के कार्यकाल में पार्टी नेताओं व जन प्रतिनिधियों को कोई तवज्जों न देकर सम्मान न देने की बात कही है। इसलिए वे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने जजपा पर सरकार में रहते हुए किसानों, मजदूरों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे व लघु श्रेणी के व्यापारियों की भी घोर अपेक्षा करने का आरोप लगाया है। राणा ने पत्र में कहा कि अब उन्हें पार्टी अनाधिकृत नेतृत्व और पार्टी के दिशा-निर्देशों के विपरीत महसूस हो रहा है। इसलिए उनका त्याग पत्र तत्काल प्रभाव से माना जाए।

पूर्व विधायक सतविंद्र राणा पहले कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन 2019 में उन्होंने जननायक जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। सतविंद्र राणा कालका से भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2009 और 2014 में कालका से चुनाव लड़ा था। राणा कांग्रेस पार्टी में 2007-2014 में प्रदेश महासचिव रहे है। 1996 और 2005 में कैथल के राजौंद हलका से कांग्रेस की सीट पर विधायक बने थे। उन्होंने राजौंद से 1991 और 2000 में भी चुनाव लड़ा था। सतविंद्र राणा मूल रूप से कैथल के गांव राजौंद के रहने वाले हैं। वर्ष 2014 में हुए परिसीमन में राजौंद कलायत हल्का में शामिल हो गया था। 2019 का चुनाव कलायत से जजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। वे इस दौरान तीसरे स्थान पर रहे थे।