तीन कृषि कानूनों को लेकर नौ माह से अधिक समय से चल रहे आंदोलन से अब तक हुए आर्थिक नुकसान व सामाजिक प्रभाव को लेकर सर्वे किया जाएगा। वृद्धों और दुर्बल व्यक्तियों की आजीविका और जीवन में व्यवधान का आकलन करने के लिए भी सर्वे किया जाएगा। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से ये सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है। आयोग ने बहादुरगढ़ के उद्यमियों व आमजन की ओर से भेजी गई विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह निर्णय लिया है।
आयोग ने भारतीय आर्थिक विकास संस्थान (आइआइइजी) से औद्योगिक और वाणिज्यिक नुकसान का सर्वे करने का अनुरोध किया है तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल आफ सोशल वर्क से आंदोलन के कारण प्रभावित हुई लोगों की आजीविका को लेकर सर्वे करने का अनुरोध किया गया है। इन दोनों सर्वे की रिपोर्ट आगामी 10 अक्टूबर तक भेजने की बात कही गई है।
21 हजार करोड़ के टर्न ओवर का नुकसान झेल चुके उद्यमियों ने खटखटाया था आयोग का दरवाजा
बहादुरगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के वरिष्ठ उपप्रधान नरेंद्र छिकारा ने बताया कि किसान आंदोलन की वजह से दो हजार से ज्यादा इंडस्ट्री बंद पड़ी हैं। लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित है। यहां की फैक्ट्रियों को 21 हजार करोड़ के टर्न ओवर का नुकसान अब तक हो चुका है। ऐसे में उन्होंने हर तरफ से निराशा मिलने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था। साथ ही टीकरी बार्डर को खुलवाने के लिए उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि आयोग ने उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। ऐसे में उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस दिशा में कोई सार्थक कार्रवाई होगी और टीकरी बार्डर से उन्हें रास्ता मिल जाएगा, जिससे फैक्ट्रियों में उत्पादन ठीक ढंग से होना शुरू हो जाएगा।
कसार के राधा कृष्ण ने उठाई बार्डर बंद होने से बीमार लोगों को हो रही परेशनी:
गांव कसार के राधा कृष्ण ने भी किसान आंदोलन की वजह से बंद टीकरी बार्डर को खुलवाने की मांग की है। उन्हाेंने आयोग में याचिका डालकर कहा था कि टीकरी बार्डर बंद होने से बीमार लोगों के साथ-साथ नौकरीपेशा लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें भी पूरी उम्मीद है कि आयोग की ओर से इस मामले में संज्ञान लेने से बार्डर से रास्ता मिलेगा और लोग आसानी से दिल्ली से आवागमन कर सकेंगे।