डायबिटीज भारत में एक बढ़ती हुई चुनौती है। कुल आबादी के 20 -70 आयु वर्ग वाले 8.7% प्रतिशत लोग इस बीमारी का सामना कर रहे हैं। यह एक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। यह समस्या तब होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है, या जब शरीर अपने द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। इससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। डायबिटीज असंतुलित जीवनशैली का परिणाम होता है। लेकिन कुछ मामलों में यह जेनेटिक कारकों, उम्र और कुछ मेडिकल कंडीशन के वजह से भी होता है। डायबिटी की वजह से लंबे समय में अंधापन, किडनी डिजीज, दिल का दौरा, स्ट्रोक और निचले अंगों के खराब होना का खतरा होता है। Who के अनुसार 2000 और 2016 के बीच, मधुमेह से समय से पहले मृत्यु दर में 5% की तक वृद्धि देखी गयी थी। 2019 तक डायबिटीज मौत के कारणों में नौवें स्थान पर पहुंच चुका था। इस साल दुनियाभर में लगभग 1.5 मिलियन मौतें सीधे मधुमेह के कारण हुई। ऐसे में आप इस खतरे में से बचे रहें इसके लिए जरूरी है सेहतमंद खान-पान और शारीरिक गतिविधियां। नियमित चेकअप से आप समय से पहले किसी भी बीमारी के प्रति सचेत रह सकते हैं। डायबिटीज से बचाव के लिए ये कुछ जड़ी-बूटियां आपके बेहद काम आ सकती है। करी पत्ते ज्यादातर भारतीय घरों में पाए जाते हैं क्योंकि यह कई भारतीय व्यंजनों में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सामग्री में से एक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन करी पत्तों को चबाने से खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है, जो आगे चलकर इसे प्रबंधित करने में मदद करता है। इसके अलावा करी पत्ते में फाइबर की मौजूदगी भी लंबे समय में पाचन और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद करती है। इस जड़ी बूटी का सेवन सुबह जूस या चाय के रूप में किया जा सकता है। बस कुछ गिलोय को धोकर चबाने से ही इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रबंधित करने, चयापचय में सुधार, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने, यकृत और प्लीहा के कामकाज में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह जड़ी बूटी एलर्जी से लड़ने में मदद करती है। ये सामान्य जड़ी-बूटियाँ इंसुलिन संवेदनशीलता के प्रबंधन में प्रभावी होती हैं। वास्तव में, नीम जैसी जड़ी-बूटियों का स्वाद कड़वा होता है। इस प्रकार चाय के रूप में या डिटॉक्स पानी में मिलाकर इसका सेवन किया जा सकता है।