लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलता और डाइजेशन को बेहतर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। लिवर को हेल्दी रखने और इससे जुड़ी कई बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ जड़ी बूटियां कारगर मानी जाती हैं, जिनकी मदद से कई बीमारियों को कोसों दूर रखा जा सकता है।
अनहेल्दी लीवर के कारण भूख कम लगना, अनिद्रा की शिकायत, थकान महसूस होना, कमजोरी, तेजी से वजन घटना, उल्टी होना और लीवर में सूजन जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में, लिवर की देखभाल के लिए कई तरह की जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है।
एलोवेरा-यह लोकप्रिय औषधीय पौधा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। इसके जेल का उपयोग कई तरह के स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह लिवर फंक्शन को सुधारने और डिटॉक्सिफाई करने में सहायता करता है। इसके लिए रोजाना सुबह खाली पेट आधा चम्मच एलोवेरा जूस को एक गिलास पानी में मिक्स करके पीना लाभकारी हो सकता है।
भृंगराज -आयुर्वेद में भृंगराज को लिवर टॉनिक बताया गया है। यह सर्वोत्तम मानी गई जड़ी बूटी, लिवर के लिए बेहद फायदेमंद होती है। लिवर की कार्यक्षमता को सुधारने के लिए भृंगराज की जड़ और पत्तियों का उपयोग किया जाता है। भृंगराज का रस या इससे बने पाउडर को खाली पेट सुबह के वक्त गुनगुने पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।
अश्वगंधा -अश्वगंधा आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक है। अश्वगंधा का उपयोग शारीरिक शक्ति बढ़ाने, तनाव कम करने और लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स के प्रभार से लीवर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। गुनगुने पानी या दूध के साथ अश्वगंधा चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
गिलोय-गिलोय को आयुर्वेद में अमृता के नाम से भी जाना जाता है। इसमें इम्यूनोमॉड्यूलरी गुण मौजूद होते हैं, जो कई इंफेक्शन से लिवर को बचाने में मदद करते हैं। गिलोय का नियमित सेवन करने से लिवर लंबे समय तक हेल्दी बना रहता है। गिलोय के जूस या इसका काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है। काढ़ा बनाने के लिए एक गिलास पानी में गिलोय के पौधे की डंठल को डालकर उबालें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।