इस बार किसानों को सरसों की खेती से मिलेगा बंपर कमाई का मौका, जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें।

Parmod Kumar

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सरसों की बुआई का समय भी आ गया है. अगर आप भी खेती करने की सोच रहे है तो ये सही समय है. कृषि वैज्ञानिक ने TV9 हिंदी को बताया कि  पूसा सरसों- 28. यह 105-110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है. किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट और बीमारियों से नुकसान कम होगा. इस तरह उन्हें फसल से ज्यादा फायदा होगा.

सरसों की बुआई का समय आ गया

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि 5 से 25 अक्टूबर तक खेत में सरसों की बुआई करें. एक एकड़ खेत में 1 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें. बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश (MoP) का इस्तेमाल करें.

बुआई के बाद 1-3 दिन के भीतर खरपतवार की रोकथाम के लिए पैंडीमेथालीन (30 EC) केमिकल की एक लीटर मात्रा को 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. बुआई के 20-25 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें. खेत में पौधों के बीच लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें.

फसल की पहली सिंचाई 35-40 दिन के बाद करें. जरूरत होने पर दूसरी सिंचाई फली में दाना बनते समय करें. फसल पर फूल आने के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए. पौधों की छंटाई और पहली सिंचाई के बाद 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

फसल पर माहूं या चेंपा कीट का हमला होने पर नीम तेल की 5 एमएल मात्रा एक लीटर पानी या फिर इमीडाक्लोप्रिड (17.8 एमएल) की 100 एमएल मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय फसल पर छिड़काव करें. जरूरत होने पर दूसरा छिड़काव 10-12 दिन बाद फिर करें. फसल में फलियां बनते समय सरसों के पौधों की 20-25 सेमी नीचे की पुरानी पत्तियों की तुड़ाई कर दें.

बुआई के 65-70 दिन बाद कार्बेन्डाजिम (12 फीसदी) और मैन्कोजेब (63 फीसदी) की 250 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.फूल और फली बनने के समय थायोयूरिया की 250 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें. इससे फसल को पाले से भी बचाव होता है. सरसों की अच्छी पैदावार के लिए 75 फीसदी फलियां पीली हो जाएं तब ही फसल की कटाई करें.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इन सभी किस्मों के अलावा एक सबसे नवीनत किस्म हमने तैयार की है, जिसका नाम है पूसा सरसों- 28.

यह 105-110 दिन में पक जाती है और 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल होती है. इन सभी किस्मों की 15 सितंबर के आस पास बुवाई की जा सकती है और जनवरी के पहले हफ्ते तक इनकी कटाई हो जाती है.

कम अवधि में पकने वाली अगेती फसलों के लाभ के बारे में बात करें सरसों की पैदावार माहू या चेपा कीट के प्रकोप से बच जाती है. इसके अलावा, ये फसलें बीमारी रहित भी हैं. इसके अलावा इन किस्मों की बुवाई कर किसान अपने खेत में तीन फसल एक साल में ले सकते हैं.