इस बार केंद्र सरकार राष्ट्रगान को लेकर महोत्सव मना रही है, राष्ट्रगान वेबसाइट पर अपलोड करके आप ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ का हिस्सा बन सकते हैं।

Parmod Kumar

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आजादी का अमृत महोत्सव. ये थीम है इस बार के राष्ट्रगान महोत्सव की ताकि आजादी के पावन पर्व पर ज्यादा से ज्यादा लोग राष्ट्रगान गाएं. इस महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए आप https://rashtragaan.in/ वेबसाइट पर जाएं और इस पर्व का हिस्सा बनें. इस वेबसाइट पर जाकर आपको तीन आसान से स्टेप्स फॉलो करते हुए, राष्ट्रगान का वीडियो अपलोड करना है.

राष्ट्रगान:

भारत को आजादी भले ही 15 अगस्त को मिली हो, लेकिन हमने अपनी आजादी का गान इसके कई वर्षों पहले ही बनाया और गाया था. रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘जन-गण-मन..’ 27 दिसंबर, 1911 को राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा द्वारा इसे पारित किया गया. संविधान सभा ने यह घोषणा की कि ‘जन-गण-मन..’ हिंदुस्तान का राष्‍ट्रगान होगा, जिसे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरे सम्मान और नियम के साथ गाया जाएगा.

नियम:

‘जन-गण-मन..’ में कुल पांच अंतरा हैं. इन्हें गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है. इसे किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में झंडारोहण के बाद बजाना चाहिए. स्कूलों में सुबह के समय दिन की शुरुआत से पहले इसे गाया जाता है. ये राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन के उपरान्त या पहले और राज्यपाल और उपराज्यपाल के आगमन पर गाया जा सकता है. जब ये किसी बैंड द्वारा गाया जाता है, तो ड्रम के द्वारा सात की धीमी गति से राष्ट्रीय सलामी संपन्न होने के बाद इसे गाया जाता है. इसे गाने के दौरान वहां उपस्थित लोगों को अपने स्थान पर इसके अभिवादन में खड़ा होना आवश्‍यक है. इसकी अवमानना दंडनीय अपराध है. महर्षि अरविंद ने ‘जन-गण-मन…’ का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है.

राष्ट्रगान के अपमान पर क्या सजा है?

प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नैशनल ऑनर एक्ट 1971 के तहत राष्ट्रीय झंडे और संविधान का अपमान करना दंडनीय अपराध है. ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. इसी तरह, राष्ट्रगान को जानबूझकर रोकने या फिर राष्ट्रगान गाने के लिए जमा हुए समूह के लिए बाधा खड़ी करने पर अधिकतम 3 साल की सजा दी जा सकती है. इसके साथ ही जुर्माने और सजा, दोनों भी हो सकते हैं. मौलिक अधिकार संबंधी सेक्शन में संविधान कहता है कि हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और इसके द्वारा तय किए गए लक्ष्यों व संस्थाओं का सम्मान करे. इनमें राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्रगान भी शामिल हैं.

राष्ट्रीय ध्वज:

तीन रंगों से निर्मित भारत का राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वीकृत किया गया था. राष्‍ट्रध्‍वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 का होता है. हमारा तिरंगा तीन रंगों से बना है. गहरा केसरिया, श्वेत और गहरा हरा. झंडे के सबसे ऊपरी भाग में केसरिया, मध्य में श्वेत और फिर हरा रंग होता है. इसके मध्य हल्के नीले रंग का एक चक्र बना होता है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं. यह चक्र सारनाथ में स्थित अशोक के धर्म चक्र से लिया गया है, जो हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. झंडे का केसरिया रंग साहस, बलिदान और त्याग का प्रतीक है. श्वेत रंग पवित्रता और सच्चाई का और हरा रंग विश्‍वास और उर्वरता का प्रतीक है.