साइबर ठग लोगों को झांसे में लेकर उनके बैंक खाते की जानकारी लेकर राशि ऑनलाइन खोले गए बैंक खातों में ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं। जब पुलिस मामले की जांच करते हुए उन बैंकों तक पहुंचती है तो वहां खोले गए खातों में प्रयुक्त किए गए कागजात और मोबाइल नंबर फर्जी मिलते हैं। साइबर ठगी के 80 फीसदी तक मामलों की जांच बैंक खाते तक पहुंचकर रुक जा रही है। पुलिस टीम अब साइबर ठगों द्वारा रुपये निकालने वाले एटीएम बूथ की फुटेज के आधार पर उनकी तलाश का प्रयास कर रही है। बैंकों की तरफ से उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शुरू की गई योजना को हथियार बनाकर साइबर ठग लोगों के खाते खाली कर रहे हैं। सरकार की नीति के तहत बैंकों ने लोगों को ऑनलाइन खाता खोलने की सुविधा दे रखी है। इसमें कोई भी व्यक्ति अपना आधार कार्ड व फोटो लगाकर किसी भी बैंक में खाता खुलवा सकता है। खाता खोलते समय उपभोक्ता के मोबाइल पर एक ओटीपी आता है। यह खाता खोलते समय प्रयोग किए जा रहे मोबाइल नंबर पर ही आता है। इसका आधार कार्ड में लगाए गए मोबाइल नंबर पर आना अनिवार्य नहीं है। वहीं ऑनलाइन खोले गए बैंक खातों व उसमें प्रयोग आधार कार्ड का सत्यापन भी नहीं किया जाता। साइबर ठग अब इसका दुरुपयोग करने लगे हैं। हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ हुई साइबर ठगी में ज्यादातर लोगों की राशि ऑनलाइन खोले गए बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। साइबर अपराध की जांच कर रहे अधिकारियों को सत्यापन में इन खातों में प्रयोग किए गए आधार कार्ड फर्जी मिले हैं। जिन मोबाइल नंबरों का प्रयोग इन खातों को खोलने में किया गया है, वह भी फर्जी आधार कार्ड से प्राप्त किए गए हैं। इससे जांच आगे नहीं बढ़ पाती। जिले के पांच मामलों में पुलिस को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। साइबर सेल के अधिकारी अब ऐसे एटीएम बूथ के सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग प्राप्त कर रहे हैं, जहां से रुपये निकाले गए हैं। वहां से आरोपियों के फोटो लेकर उनको पुलिस साइट पर डाला जाएगा। जिससे देशभर में साइबर ठगों की पहचान का प्रयास शुरू हो सकेगा।