रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से बचने के लिए कीट नियंत्रण का यह जैविक तरीका अपनाएं।

Parmod Kumar

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सब्जियां, फसल और फलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए और कीट से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसानों द्वार बड़े पैमाने पर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है , इसके कारण कई प्रकार की समस्याएं सामने आ रही है. लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है, भूमि की गुणवत्ता खराब हो रही है. इसके अलावा मित्र कीटो को भी नुकसान पहुंचा रहा है. इसलिए जैविक खाद और कीटनाशक का उपयोग करना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है.

पंचगव्य

पंचगव्य एक कार्बनिक उत्पाद होता है. इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है. इसका उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है, जिससे पौधों को हानि पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण होता है.पंचगव्य गाय से प्राप्त 5 पदार्थों जैसे- गौमूत्र, गोबर, दही, दूध एवं घी इन सभी को मिलाकर तैयार किया जाता है.

मट्ठा (Whey)

मट्ठा, छाछ, दही भी कीट नियंत्रण में अपनी अहम भूमिका निभाता है.  मिर्च, टमाटर आदि फसलों में लगने वाले कीटों तथा रोगों की रोकथाम में इसका उपयोग प्रभावी होता है. यह एक सस्ता और सरल उपाय है. इससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है.

गौमूत्र

गौमूत्र के इस्तेमाल से पौधों में कीट प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. इसे कांच के बोतल में भरकर धूप में रखा जाता है. यह जितना पुराना होता है उतना असरदार होता है. गौमूत्र को पानी में मिलाकर स्प्रे किया जाता है.

फसल चक्र

फसलों को कीट से बचाने का उत्तम तरीका है फसल चक्र अपनाना. इससे फसल में रोग भी नहीं होता है. इसलिए एक ही जमीन पर एक ही प्रकार के फसल नहीं लगाना चाहिए.

ट्रेप/फांस फसलें

इस विधि में मुख्य फसल को कीट से बचाने के लिए दूसरी फसल भी खेत में लगायी जाती है. इसके लिए गेंदा फूल का इस्तेमाल किया जाता है. टमाटर के साथ गेंदा फूल लगाने से कीट फूल पर आते हैं टमाचर कीट के आक्रमण से बच जाता है.

इन्टर क्रापिंग

दक्षिणी भारत में यह प्रक्रिया अपनायी जाती है. इसमें कपास के साथ मूंग उड़द और लोबिया लगाते हैं जिससे कपास में लाल सुंडी का आक्रमण नहीं होता है.

निकोटीन

तंबाकू की पत्तियों का पाउडर बनीकर उसके घोल का इस्तेमाल करने से कीट का प्रकोप कम हो जाता है.. ये कीट के शरीर में प्रवेश करके उसके तंत्रिका तन्त्र को प्रभावित करता है, जिससे कीट को लकवा मार जाता है और कुछ समय बाद कीट की मृत्यु हो जाती है. माहू कीट के नियंत्रण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है.

कीट प्रतिरोधी किस्में

किसान भाई ऐसी किस्मो का प्रयोग कर सकते हैं जिनमें कीट का प्रकोप कम होता है. इनमें कीट का प्रकोप सहन करने की क्षमता होती है.