आज किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे हुए, सिंघू बॉर्डर पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन, 1500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।

Farmer Protest

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केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन के नौ महीने पूरे होने के अवसर पर किसान गुरुवार से सिंघू बॉर्डर पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है.  इस दो दिवसीय सम्मेलन में किसानों, महिलाओं, युवाओं और मजदूरों के संगठनों के 1,500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन का लक्ष्य केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन को ‘‘गति और विस्तार’’ प्रदान करना है.

सम्मेलन में गुरुवार को तीन सत्र आयोजित होंगे, जिसमें उद्घाटन सत्र सहित औद्योगिक श्रमिकों, कृषि श्रमिक, ग्रामीण, गरीब एवं आदिवासी लोगों पर एक-एक सत्र आयोजित किया जाएगा. सम्मेलन में ‘‘सभी तीन कॉर्पोरेट समर्थक कृषि कानूनों को निरस्त करना, सभी फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए कानूनी गारंटी, बिजली विधेयक 2021 को निरस्त करना और एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक 2021 के तहत किसानों पर कोई मुकदमा ना चलाया जाए’’ के सबंध में चर्चा होने की उम्मीद है.

गौरतलब है कि किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली से लगी सीमाओं पर केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बार-बार कानूनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया का मोहताज बनाने का भय व्यक्त किया है. सरकार और किसानों के बीच इस संबंध में 10 दौर की बातचीत हुई, लेकिन दोनों पक्षों के बीच गतिरोध अब भी कायम है.

भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ काफी दुखद है कि नौ महीने हो गए हैं और सरकार बातचीत को अब भी तैयार नहीं है. लेकिन हमें हताश नहीं होना चाहिए. इस सम्मेलन के दौरान हम दिखाएंगे कि नौ महीने में हमने क्या खोया है और क्या पाया है.’’

वहीं किसान आंदोलन के कारण बंद सड़क को खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को कोई हल निकालना होगा. कोर्ट नोएडा की रहने वाली एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्देश देने की मांग थी कि नोएडा और दिल्ली के बीच सड़क को खाली करवाया जाए. इसके जवाब में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था.