संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानो को भाजपा से वोट न देने का किया अनुरोध

Parmod Kumar

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विभिन्न किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के किसानों और अन्य लोगों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने का अनुरोध किया। जबकि किसानों का आंदोलन सौं से अधिक दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर जारी है। दूसरी तरफ देशभर में बड़ी-बड़ी किसान महपंचायते हो रही हैं जिनमें लाखों की भीड़ उमड़ रही है। इन सबके बाद भी सरकार किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। उलटे आंदोलन कर रहे किसानों को सत्ताधारी दल के लोग अलग नामों से पुकार रहे हैं और आंदोलन को बदनाम करने की पूरी कोशिश भी हो रही है। इन सबके बीच किसान नेताओं ने फैसला किया है कि वो अब चुनावी राज्यों में जाकर बीजेपी का खुला विरोध करेंगे और बताएंगे कि वो किसान और आम जनता दोनों के खिलाफ हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया इस दौरन वो किसी भी दल का समर्थन नहीं करेंगे। मोर्चा ने कहा कि चुनावी हार ही केंद्र की बीजेपी सरकार को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करेगी। राजस्थान के जोधपुर के पीपाड़ में किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू नेता ने केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को ‘‘दो लोगों की सरकार’’ बताया जो किसी की नहीं सुनती। उन्होंने युवाओं की और भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ फिलहाल आंदोलन नवंबर तक जारी रहेगा। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने भाजपा पर ‘‘देश को कॉरपोरेटों को बेचने” की कोशिश करने का आरोप लगाया और लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग सावधानीपूर्वक करने का आग्रह किया। किसानों के आंदोलन को “अपमानित’’करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने आरोप लगाया कि ब्रिटिश शासकों ने भी ऐसे कृत्यों का सहारा नहीं लिया जैसा वर्तमान सरकार कर रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने का स्वागत किया। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने बिजली संशोधन विधेयक 2021 को ससंद में पेश करने के भारत सरकार के कदम का विरोध किया है और मांग की है कि सरकार संसद के चालू सत्र में सारणीकरण के लिए सूचीबद्ध विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक करे। विद्युत अधिनियम में कोई भी संशोधन केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठनों को अपना मसौदा विधेयक वापस लेने के लिए की गई प्रतिबद्धता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने तमिलनाडु पुलिस के रवैये को अलोकतांत्रिक व दमनकारी कहा और बताया कि कन्याकुमारी में किसानों के समर्थन में निकल रही साइकिल रैली को रोक दिया गया है। ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने इसकी कड़ी निंदा की।सयुंक्त किसान मोर्चा’ ने कहा, “सरकार किसानों की मांगें मानने की बजाय किसानों का समर्थन करने वालों को लगातार परेशान कर रही है। सुखपाल सिंह खैरा पर असंवैधानिक व अमानवीय रूप से ED की रेड द्वारा तंग किया जा रहा है, जिसकी ‘सयुंक्त किसान मोर्चा’ कड़ी निंदा करता है। 26 जनवरी की पुलिस की गोली से शहीद हुए नवरीत की मौत की जांच की लगातार मांग करने वाले सुखपाल खैरा की किसान आंदोलन में सक्रियता के चलते सरकार उन्हें परेशान कर रही है।” वहीं किसानों के आंदोलन के समर्थन में पूरे भारत में नियमित रूप से रैलियां और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ऐसी ही एक रैली जहानाबाद में स्वामी सहजानंद सरस्वती की 123 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित की गई थी। 18 मार्च 2021 को विधान सभा मार्च से पहले 7 “किसान यात्रा” बिहार के लगभग सभी जिलों में यात्रा कर रही हैं। उत्तरप्रदेश के बांदा में आज किसान महापंचायत आयोजित की गई। प्रशासन ने 7 दिन पहले पंचायत की अनुमति स्वयं दी थी, लेकिन कल रात 11 बजे पुलिस-प्रशासन ने बलपूर्वक पंडाल उखाड़ दिया एवम किसानों को बाँदा में पहुंचने से रोकने के लिए भारी पुलिसबल तैनात किया गया। उसके बावजूद बाँदा में कलेक्टर आफिस के सामने बड़ी संख्या में किसानों ने इकट्ठे होकर महापंचायत की और बुंदेलखंड के सभी जिलों में जाकर कृषि कानूनों एवम MSP गारंटी कानून पर किसानों को जागरूक करने का प्रण लिया।