गुरुग्राम से BJP सांसद और केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को जयचंद कहा तो भाजपा में सियासी उबाल आ गया। हरको बैंक के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव ने भी बगैर नाम लिए पलटवार करते हुए कहा कि अगर जयचंद ही ताकतवर तो फिर आप किस बात के राव साहब? दरअसल, मंगलवार को अपने समर्थक व भाजपा जिला उपाध्यक्ष अजय पटौदा के घर पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने विधानसभा चुनाव 2019 में रेवाड़ी सीट पर मिली हार का ठीकरा बगैर नाम लिए डॉ. अरविंद व पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के सिर पर फोड़ा था। केन्द्रीय मंत्री ने भरी सभा में कहा कि कहा कि जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को हराने का काम किया, उन्हें पार्टी ने तुरंत माफ कर दिया। पार्टी के दायरे से बाहर होकर काम करने वाले ऐसे जयचंदों को कम से कम 6 साल के लिए निष्कासित करना चाहिए था, मगर अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ। उल्टा उन्हें इनाम दिया गया। राव के बयान के बाद देर शाम हरको बैंक के चेयरमैन डॉ. अरविंद की तरफ से मीडिया में एक बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने सुनील मुसेपुर को टिकट दिलाने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जयचंद वाली बात तो यह थी कि आपने मुझ जैसे समर्पित कार्यकर्ता को समर्थन देने की बजाए निजी व्यक्ति को टिकट दिला लाए। जयचंद वाला कार्य तो नांगल चौधरी और पटौदी के मतदाता भी जानते हैं। मुझे तो पार्टी का टिकट न मिलने के बाद भी पार्टी ने सोनीपत जिले की 6 विधानसभा सीटों पर ड्यूटी लगाई। मैं पूरी निष्ठा से कार्य करता रहा। टिकट नहीं मिलने से कुंठाग्रस्त नहीं हुआ और न ही कभी केन्द्रीय मंत्री के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कोई बयान दिया, लेकिन बार-बार जयचंद कहकर केन्द्रीय मंत्री मुझ पर निशाना साध रहे है। इससे स्पष्ट है कि वह आज भी मुझसे डरे हुए हैं। भाजपा समंदर है और राव को सार्वजनिक मंच से मुझे या पार्टी को नसीहत देने की आवश्यकता नहीं। भाजपा ने भी राव को बहुत कुछ दिया। निकाय चुनाव में नारनौल और बावल में चेयरमैनी की टिकट उनके चहेतों को मिली, लेकिन टिकट दिलाने के बावजूद वहां जाकर वोट की अपील नहीं करना, क्या जयचंद की श्रेणी में नहीं आता? बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राव इन्द्रजीत सिंह के समर्थक सुनील मुसेपुर को रेवाड़ी सीट पर टिकट दी थी, जिसके बाद पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने बगावत का झंडा बुलंद करके निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने अंदरखाने पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार किया, जिसकी वजह से भाजपा रेवाड़ी सीट हार गई और यहां से कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव विधायक बनने में कामयाब हुए।















































