दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के कारण करीब 10 माह से बंद चल रहे प्रमुख रास्तों के खुलने का सभी को इंतजार है, लेकिन आंदोलनकारियों के रुख से इस पर मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। बहादुरगढ़ के उद्यमियों और आम लोगों को कुंडली बार्डर से एक तरफ का रास्ता खुलने का इंतजार है। उसके बाद टीकरी बार्डर पर भी इस तरह की स्थिति बन सकती है, लेकिन आंदोलनकारियों द्वारा हाल ही में जो रुख अपनाया गया है, उसने रास्ते जल्द खुलने की उम्मीदों काे झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद प्रदेश सरकार द्वारा हाई पावर कमेटी का गठन तो किया गया, मगर आंदोलनकारियों का एक ही पैंतरा है कि बार्डर उन्होंने नहीं बंद कर रखे हैं, दिल्ली पुलिस द्वारा बंद किए गए हैं।
आंदोलनकारियों द्वारा विश्वास तोड़ने के बाद बंद किए गए थे बार्डर :
दिल्ली की सीमाओं पर 26 जनवरी की हिंसा के बाद तगड़े इंतजाम हुए थे। उससे पहले तो बेरिकेडिंग की एक सामान्य लेयर थी। मगर गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड को लेकर जिस तरह से आंदोलनकारियों द्वारा तय समय से पहले बेरिकेड तोड़े गए और तय रूट की बजाय लाल किला की तरफ रुख किया गया, उससे जो हालात बने उसने दिल्ली की जनता को भयभीत कर दिया था। तब से ही बार्डरों पर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए। टीकरी बार्डर पर कई लेयर की बेरिकेडिंग की गई।
अब इन बार्डरों पर एक तरफ का रास्ता खोलने की मांग जोर पकड़ रही है, मगर जब तक आंदोलनकारी इसके लिए तैयार नहीं होते, तब तक रास्ता खुलना भी संभव नहीं लग रहा है। माना जा रहा है कि यदि एक तरफ से रास्ता खुल जाए और मुख्य रास्तों से वाहनों का दिल्ली में आवागमन शुरू हो जाए तो उद्यमियों और व्यापारियों के साथ-साथ आम जनता को भी राहत मिल जाए।