मौसम विशेषज्ञ डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि प्रदेश में 28 जून को मानसून ने प्रवेश किया ता। मगर इसके बाद से मानसून की ज्यादा सक्रियता देखने को नहीं मिली। प्रदेश में बिखराव वाली बारिश की गतिविधियां हो रही हैं। हालत यह है कि कुछ जिले अभी बारिश को तरस रहे हैं।
1 जून से 4 जुलाई के दौरान प्रदेश में कुल 54.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है, जबकि इस दौरान सामान्य बारिश 68.6 मिलीमीटर होती है। इस लिहाज से अब तक की बारिश सामान्य से 20 प्रतिशत कम है।
अभी भी हरियाणा के 11 जिलों में बारिश की कमी बनी हुई है। हालांकि आने वाले दिनों में सम्पूर्ण इलाके में मानसून की बौछारों की संभावना बन रही है। वीरवार को हिसार, महेंद्रगढ़, रोहतक, भिवानी, फरीदाबाद, जींद, करनाल, नूंह, रेवाड़ी, यमुनानगर आदि जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।
डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि आने वाले दिनों में हरियाणा, एनसीआर व दिल्ली में बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। एक नया कमजोर पश्चिमी विक्षोभ शुक्रवार को सक्रिय हो रहा है, जो अपने साथ अरब सागर की नमी लेकर आएगा। वहीं एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के मध्य भागों पर बना हुआ है, जिसके असर से बंगाल की खाड़ी से नमी मिलेगी। इसके अलावा मानसून की अक्षय रेखा फिरोजपुर, रोहतक, लखनऊ, बलिया, पूर्णिया होते हुए मणिपुर तक बनी हुई है। इन सभी के असर से हरियाणा, एनसीआर व दिल्ली में मानसून 8 जुलाई तक मेहरबान रहेगा।