तुर्की भारत के खिलाफ पिछले कुछ दशकों से पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है. बावजूद इसके, जब तुर्की में भूकंप ने तबाही मचाई है, भारत मदद पहुंचाने वाले अग्रणी देशों में एक है. पाकिस्तानी विश्लेषक कह रहे हैं कि भारत इस मदद के जरिए तुर्की के साथ अपने रिश्तों को एक नई शुरुआत देने की कोशिश कर रहा है.
तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है जिसमें भारत एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत ने तुर्की में ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत 6 विमानों से राहत सामग्री, 30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पताल, मेडिकल सामग्री सहित सभी जरूरी सामान पहुंचाए हैं. भारत की एनडीआरएफ की दो टीमें, जिसमें एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल है, तुर्की में बचाव कार्य में जुटी है. तुर्की ने भारत की तरफ से दी जा रही मदद के लिए उसका आभार जताते हुए उसे अपना सच्चा दोस्त कहा…
तुर्की और भारत के रिश्ते पिछले कुछ दशकों में ठीक नहीं रहे हैं, लेकिन भारत मानवीय मदद में हमेशा से आगे रहा है. भारत जोर-शोर से तुर्की की मदद में जुटा में जुटा हुआ है. वहीं, पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में फंसा हुआ है, ऐसे में वह तुर्की की बहुत ज्यादा मदद नहीं कर पा रहा है. पाकिस्तानी विश्लेषकों कोभारत और तुर्की की करीबी का डर सताने लगा है. पाकिस्तानी मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है.
पाकिस्तान के करीब रहा है तुर्की
साल 2002 में जब राष्टपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन की पार्टी सत्ता में आई तब तुर्की खुद को मुस्लिम वर्ल्ड का नेता बनाने की कोशिश में जुट गया. इसी कोशिश में एर्दोगन ने मुस्लिम देशों के कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखना शुरू किया. एर्दोगन ने कई दफे पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ बात की.
एर्दोगन ने कहा था, ‘हमारे कश्मीरी भाई-बहन दशकों से पीड़ित हैं. हम कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं. हमने इस मुद्दे को यूएन की आम सभा में भी उठाया कश्मीर के मुद्दे को युद्ध से नहीं हल किया जा सकता बल्कि इसे ईमानदारी और निष्पक्षता से ही सुलझाया जा सकता है. तुर्की इस काम में पाकिस्तान के साथ है.’ उनके इस संबोधन पर पाकिस्तान की संसद तालियों से गूंज उठी थी.
द्विपक्षीय व्यापार को लेकर भी तुर्की-भारत में रही है अनबन
भारत और तुर्की के व्यापारिक रिश्तों में एक तनातनी का माहौल रहा है. तुर्की पिछले कुछ समय से खाद्यान्नों की कमी से जूझ रहा है. बावजूद इसके उसने पिछले साल भारत की तरफ से भेजे गए हजारों टन गेहूं को लौटा दिया था. तुर्की ने मई 2022 में 56,877 टन गेहूं को यह कहते हुए वापस कर दिया कि गेहूं में रूबेला वायरस पाया गया है.
विश्लेषकों का कहना था कि तुर्की ने यह गेहूं राजनीतिक फैसले के तहत लौटाया न कि गेहूं में किसी तरह का वायरस मिला था. बाद में तुर्की के लौटाए गेहूं को मिस्र ने खरीद लिया था. भारत और तुर्की के व्यापार में असंतुलन की समस्या रही है. भारत तुर्की को जितना अधिक सामान बेचता है, उससे काफी कम सामान तुर्की से खरीदता है. तुर्की इस व्यापार असंतुलन को लेकर नाखुश रहा है. वो चाहता है कि भारत तुर्की से अपना आयात बढाए और तुर्की में निवेश पर भी फोकस करे.














































