अभिनेता सोनू सूद के ब्रांड एंबेसडर बनाने पर पंजाब चुनाव पर क्या होगा असर।

Parmod Kumar

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अभिनेता सोनू सूद को अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘देश के मेंटोर’ का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है। सोनू सूद पंजाब से ताल्लुक रखते हैं और पिछले साल लॉकडाउन में उन्होंने पलायन करने को मजबूर हुए प्रवासी भारतीयों को जिस तरह से मदद की थी, उसने उन्हें पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया है। देश ने देखा है कि एक मैसेज पर, ट्विटर पर एक संदेश मिलने पर भी सोनू सूद ने किस तरह से लोगों की सहायता की है। उधर, केजरीवाल राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं। आज की तारीख में धुरंधर से धुरंधर राजनेता भी उनकी सियासी बाजी के सामने पानी पीते नजर आते हैं। ऐसे में चर्चा स्वाभाविक है कि सोनू सूद के दिल्ली सरकार के ब्रांड एंबेसडर बनने से पंजाब चुनाव पर क्या असर पड़ेगा ? अब अपने शहर में लीजिए सबसे बेहतरीन एसयूवी की टेस्ट ड्राइव – यहां क्लिक करें अभी राजनीति में आने से इनकार बॉलीवुड के अभिनेता सोनू सूद और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार की मुलाकात के बाद राजनीति पर किसी भी तरह से चर्चा की अटकलों से साफ इनकार किया है। केजरीवाल ने सीधा कहा है, “नहीं कोई राजनीतिक चर्चा नहीं की हमने….।” सोनू सूद भी मुस्कुराते हुए लगातार यही कहते रहे कि “कोई राजनीति नहीं है…मैं हमेशा कहता रहा हूं…..अभी तक हमने राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की है….राजनीति तो हमने दूर-दूर तक अभी नहीं सोची है।” लेकिन, अगले साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा का चुनाव होने वाला है, जहां आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। ऐसे में राजनीति का मुद्दा उठना तो स्वाभाविक ही है।

चुनाव लड़ने की भी होती रही है चर्चा पिछले 30 जुलाई को मुंबई में 48वें जन्मदिन का केक काटने वाले सोनू सूद पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं। उनके राजनीति में आने और पंजाब से चुनाव लड़ने की चर्चा पहले से होती रही है। इसलिए चुनावों से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल जैसे चतुर राजनेता की ओर से अपनी सरकार के एक कार्यक्रम के लिए उन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाना अटकलों को हवा देने के लिए काफी है। पहले से मीडिया में ऐसी कुछ रिपोर्ट आ चुकी हैं, जिसमें कहा गया कि सूद या उनकी बहन मालविका सूद सच्चर आने वाला विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं। खासकर मोगा से उनकी बहन के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की खबरें आ चुकी हैं। पिछले कुछ महीनों से वो जिस तरह से अपने इलाके में सामाजिक कार्यों में सक्रिय हुई हैं, उससे इन कयासबाजियों को और बढ़ावा मिला है। पंजाब में वैक्सीनेशन ड्राइव के भी ब्रांड एंबेसडर हैं सोनू सूद पिछले लॉकडाउन के बाद से कोरोना महामारी हो या महाराष्ट्र की बाढ़, लोगों की दिल खोलकर मदद करने की वजह से सोनू सूद की लोकप्रियता इस समय पूरे देश में चरम पर है। यही वजह है कि पिछले अप्रैल में पंजाब सरकार ने उन्हें अपने प्रदेश में कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव का ब्रांड एंबेसडर बनाया था। तब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था, ‘लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए उनसे बेहतर कोई नहीं है। पंजाब के लोगों में बहुत ही ज्यादा हिचकिचाहट (वैक्सीन को लेकर) है। सोनू उनके बीच काफी लोकप्रिय हैं और पिछले साल जब महामारी फैली थी और उन्होंने हजारों प्रवासियों को सुरक्षित घर पहुंचाने में जो मदद की थी वह अद्भुत है, इससे लोगों की हिचकिचाहट दूर करने में सहायता मिलेगी।’

सोनू सूद के ब्रांड एंबेसडर बनने का पंजाब चुनाव पर असर ? जाहिर है कि जब सोनू सूद पंजाब में इतने लोकप्रिय हैं कि उनको आगे करके राज्य सरकार लोगों को वैक्सीन से संबंधित गलतफहमियां दूर करने में कामयाब हो रही है तो वह किस दल के साथ जुड़े हैं, इसका असर चुनाव पर भी पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। ये बात अलग है कि वो इस समय दिल्ली और पंजाब दोनों राज्य सरकारों के अलग-अलग कार्यक्रमों के ब्रांड एंबेसडर हैं और दोनों ही दल पंजाब में मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। तब अमरिंदर सिंह ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था, ‘जब लोग पंजाब दा पुत्तर से वैक्सीन की लाभ के बारे में सुनेंगे कि यह कितनी सुरक्षित और जरूरी है तो वो उनपर भरोसा करेंगे। क्योंकि वे उनपर विश्वास करते हैं।’ इसे भी पढ़ें-क्या है केजरीवाल सरकार का “देश के मेंटोर” प्रोग्राम, सोनू सूद बने जिसके ब्रांड एंबेसडर पंजाब में सोनू सूद से किसे होगा फायदा ? पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार इस वक्त विपक्ष से ज्यादा कांग्रेस की अंदरूनी मतभेद से ही परेशान है। जिस तरह से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, उससे विपक्ष का काम बहुत ही आसान हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। बीजेपी वहां अपने दम पर चुनाव की दिशा मोड़ने की स्थिति में नहीं लग रही है। शिरोमणि अकाली दल जिस तरह से शुरू में तीनों कृषि अध्यादेशों के मसले पर मोदी सरकार के साथ रही, उससे बाकी दल उसे आसानी से घेर लेते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी सशक्त स्थानीय नेतृत्व के अभाव और भीतरी कलह के बावजूद पंजाब में काफी प्रभावी मानी जा रही है। खासकर दिल्ली के वोटरों को उसने फ्री बिजली का ऐसा चस्का लगा दिया है कि वह अब पंजाब चुनाव में भी उसका स्वाद चखने का मंसूबा पाल रही है। सभी परिस्थितियों को गौर से देखें तो अगर अमरिंदर सिंह अपनी ही पार्टी में कमजोर पड़े तो केजीवाल बिना पार्टी में लाए भी सोनू सूद का बहुत ज्यादा सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं, जिनकी लोकप्रियता फिलहाल ‘बेदाग’ लग रही है।