किसान संगठन खेती की संपूर्ण लागत (C-2+50 फीसदी) पर आधारित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मांग रहे हैं. यह मांग काफी पुरानी है लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने इसे पूरा नहीं किया. यानी इसके हिसाब से देश में कभी भी फसलों का दाम तय नहीं किया गया, हालांकि खुद सरकार भी इस फार्मूले को सबसे बेहतर मानती है. सरकार अभी ए-2+एफएल फार्मूले के आधार पर ही एमएसपी दे रही है. आईए समझते हैं कि किसी फसल का मूल्य दोनों से तय करने में कितना अंतर हो जाएगा?
केंद्र सरकार दावा कर रही है कि वो उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है, लेकिन उसका आधार कौन सा है? यही समझने वाली बात है. हम इसके लिए धान और मक्के की फसल को उदाहरण के तौर पर चुनते हैं. किसान नेताओं का कहना है कि उत्पादन लागत का मतलब उत्पादन की समग्र लागत होती है जो सी-2 है, न कि ए2+एफएल.
सी-2 लागत पर गणना हो तो कितना होगा एमएसपी
केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए धान (Paddy) की लागत को प्रति क्विंटल 1293 रुपये माना है. लागत पर 50 फीसदी रिटर्न जोड़कर उसका एमएसपी 1940 रुपये तय किया है. दरअसल, यह सी-2 लागत पर आधारित गणना नहीं है, जिसकी किसान वर्षों से मांग कर रहे हैं. यह एमएसपी ए-2+एफएल फार्मूले के आधार तय की गई है.
किसान सी-2 फार्मूले के हिसाब से एमएसपी मांग रहे हैं. इसके हिसाब से धान उत्पादन पर लागत प्रति क्विंटल 1,727 रुपये आती है. इस लागत पर स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार 50 फीसदी रिटर्न जोड़कर उसका एमएसपी तय किया जाए तो वह 2591 रुपये बनेगा.
यानी अगर एमएसपी के सर्वमान्य फार्मूले पर सरकार पैसा दे तो प्रति क्विंटल धान की सरकारी बिक्री पर किसानों को 651 रुपये ज्यादा मिलेंगे.
मक्का का दाम 611 रुपये ज्यादा होगा
इसी तरह 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने मक्का की उत्पादन लागत 1246 रुपये प्रति क्विंटल माना है. इस लागत पर 50 प्रतिशत रिटर्न जोड़कर सरकार ने इसका एमएसपी 1870 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. यह भी ए-2+एफएल वाले फार्मूले के आधार पर ही तय हुआ है.
जबकि अगर मक्का का दाम सी-2 फार्मूले के आधार पर निकाला जाए तो इसकी लागत 1,654 रुपये आएगी. इस पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न जोड़ने पर एमएसपी 2481 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी. यानी सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी तय हो तो मक्के पर किसानों को प्रति क्विंटल 611 रुपये ज्यादा मिलेंगे.
इन फार्मूलों में अंतर क्या है?
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices) की सिफारिश पर फसलों की लागत केंद्र सरकार तय करती है. लागत तय करने के तीन फार्मूले हैं.
>>ए2-इसमें नकदी खर्च शामिल होता है. जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, ईंधन व सिंचाई पर लगने वाली रकम.
>>ए2+एफएल (वास्तव में खर्च की गई लागत+ पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य) जोड़ा जाता है.
>>सी2 (समग्र लागत) इसमें वास्तविक खर्चों के अलावा स्वामित्व वाली भूमि और पूंजी के अनुमानित किराए और ब्याज को भी शामिल किया जाता है.
नहीं मिल रही सी-2 लागत
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री का कहना है कि किसानों (Farmers) को सी-2 फार्मूले के हिसाब से एमएसपी नहीं मिल रही है. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट उसकी मूल भावना के साथ लागू नहीं की गई है. आयोग कहता है कि किसानों को सी-2 फार्मूले पर डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए. उधर, कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार समग्र लागत के आधार पर फसलों का दाम तय करे और उसकी लीगल गारंटी दे तब किसानों की दशा सुधरेगी.