हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मंत्रिमंडल का गठन हुआ, जिसमें गुड़गांव और रेवाड़ी से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को अटेली सीट से कैबिनेट मंत्री बनाया गया। माना जा रहा है कि बीजेपी में विरोध हो सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मंत्रिमंडल का गठन हुआ, जिसमें गुड़गांव और रेवाड़ी से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को अटेली सीट से कैबिनेट मंत्री बनाया गया। माना जा रहा है कि बीजेपी में विरोध हो सकता है।
गुरुग्राम : हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है। किसी ने हैट्रिक लगाई तो कोई दूसरी बार विधायक बना, लेकिन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल में अहीरवाल से केवल दो कैबिनेट मंत्री बने हैं। इनमें से गुड़गांव जिले की बादशाहपुर सीट से राव नरबीर अपने बूते पर न केवल टिकट लेकर आए, बल्कि कैबिनेट मंत्री का पद लेने में कामयाब रहे। विरोध के बावजूद वह टिकट लाए और भारी मतों से जीत भी हासिल की। इसके अलावा पूरे गुड़गांव लोकसभा की नौ विधानसभा सीटों में से किसी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।
केंद्रीय राज्य मंत्री की बेटी को जो कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, वह अटेली सीट महेंद्रगढ़ में आती है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो पटौदी और रेवाड़ी के विधायकों का नाम मंत्रियों के लिए शॉर्टलिस्ट था। बाद में केवल अटेली विधायक का नाम ही मंत्री के लिए घोषित हुआ। ऐसे में सीनियर्स की अनदेखी से आने वाले समय में विरोधी सुर उठ सकते हैं।
मंत्री बनने वाले संभावित विधायकों की बनी थी लिस्ट
बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल के लिए प्रदेश के सभी 90 विधायकों में से मंत्री बनने वाले संभावित विधायकों की लिस्ट बनाई गई थी। इसमें सभी समाज के लोगों का संतुलन बनाने के लिए भी जिलों से विधायकों को रखा गया। सोहना से विधायक तेजपाल तंवर दूसरी बार विधायक बने हैं। वह गुर्जर समाज से आते हैं। गुड़गांव से मुकेश शर्मा पहली बार विधायक बने हैं। वह ब्राह्मण समाज से हैं।
अपने पिता की पैरवी के चलते प्रदेश में मंत्री बनीं, लेकिन राजनीति की गलियारों में चर्चा है कि केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह सात टिकट लाए। सभी को विधायक बनवाने में भी कामयाब रहे। गुड़गांव और रेवाड़ी में किसी भी अपने चेहते विधायक को कैबिनेट मंत्री तो दूर राज्यमंत्री तक नहीं बनवा पाए।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह बातें आने वाले समय में विरोधी सुर के रूप में सामने आ सकती हैं। यह भी देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में गुड़गांव लोकसभा एरिया की विधानसभा सीटों से बने विधायकों को कहीं चेयरमैन या किसी अन्य पद पुरस्कार के रूप में दिया जाए।