हॉट फ्लैशेज ऐसी समस्या है जो महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान शुरू होती है। लेकिन इसके बारे में ज्यादातर महिलाएं नहीं जानतीं। 40 की उम्र के बाद हॉट फ्लैशेज का महिलाओं की सेहत, मूड और व्यवहार पर क्या पड़ता है, आइए जानते हैं।
आप रात में एसी रूम में आराम से सोई हैं। अचानक आपको गर्मी लगने लगती है और आपका चेहरा पसीने से भीग जाता है। आपको बेचैनी होने लगती है। आप खिड़की खोल देती हैं जिससे पति चिढ़ जाते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि एसी कमरे में आपको इतना पसीना क्यों आ रहा है। ऐसा हॉट फ्लैशेज के कारण होता है।
मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैशेज की वजह से अधिक पसीना आने से महिला का शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है, जिससे बेचैनी बढ़ जाती है। जानकारी के अभाव में महिलाओं को तकलीफ तो होती है, लेकिन उन्हें तकलीफ की वजह पता नहीं होती।
महिलाओं को मेनोपॉज के बारे में विस्तृत जानकारी देने और अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने के लिए हर साल वर्ड मेनोपॉज डे मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड मेनोपॉज डे 18 अक्टूबर को मनाया है। हमारी भी यही कोशिश है कि हम महिलाओं को मेनोपॉज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दें ताकि उन्हें इस फेज को समझने में आसानी हो। मुंबई के मदरहुड हॉस्पिटल की ओब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुरभि सिद्धार्थ बता रही हैं मेनोपॉज के दौरान होने वाले हॉट फ्लैशेज की वजहें और उपाय।
मेनोपॉज महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर डालता है। इसके बावजूद मेनोपॉज के बारे में अभी भी ज्यादातर महिलाएं नहीं जानतीं। उनके लिए मेनोपॉज का मतलब है पीरियड्स बंद हो जाना। मेनोपॉज एक दौरान होने वाले मूड स्विंग, हॉट फ्लैशेज, मोटापा, झुर्रियां, ड्राई स्किन जैसी समस्याओं के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं होती।
जब तक महिलाएं अपने शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों को नहीं समझेंगी तब तक अपनी सेहत का सही तरीके से ध्यान नहीं रख पाएंगी।
मेनोपॉज में हॉट फ्लैशेज यानी पसीना आना आम बात है। मेनोपॉज के दौरान जब महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने लगता है तो ब्रेन में मौजूद हाइपोथैलमस शरीर का तापमान मेंटेन नहीं कर पाता। इस वजह से महिलाओं को अचानक गर्मी और अचानक ठंडी लगने लगती है। लेकिन थोड़ी ही देर में हाइपोथैलमस शरीर का तापमान सामान्य स्तर पर ला देता है। इससे गर्मी लगना बंद हो जाता है और महिला पहले की तरह नॉर्मल हो जाती है।
हॉट फ्लैशेज का संबंध मेनोपॉज से है इसलिए इसी समय इसकी शुरुआत होती है। मेनोपॉज आमतौर पर 45 से 50 की उम्र के बीच होता है। इसी समय हॉट फ्लैशेज की भी शुरुआत होती है। इस दौरान महिलाओं को एसी के सामने बैठकर या कड़ाके की सर्दी में भी पसीना आता है। इससे महिला को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन कुछ समय के लिए वह बेचैन हो जाती है। मेनोपॉज के बाद ये समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। अगर ऐसा नहीं होता तो डॉक्टर से संपर्क करें।
हॉट फ्लैशेज को रोकना मुमकिन नहीं। लेकिन लाइफ स्टाइल में बदलाव करके इसके असर को कम जरूर किया जा सकता है। हॉट फ्लैशेज से राहत पाने के लिए खूब पानी पिएं, कॉटन के हल्के और ढीले कपड़े पहनें। तनाव से बचने की कोशिश करें। इसके लिए योग, मेडिटेशन करें। हल्का भोजन करें, पानी और जूस पीते रहें। सिगरेट-शराब से दूर रहें, जंक फूड से परहेज करें, मसालेदार भोजन और बहुत ज्यादा चाय-कॉफी से परहेज करें। वजन कंट्रोल में रखें।
इसके साथ ही रात में सोने से पहले फिर से नहा लें। ब्रा पहनकर न सोएं, सोने से पहले अंडरवियर जरूर बदलें, हमेशा कॉटन के अंडरवियर पहनें। ऐसा करने से हॉट फ्लैश बंद तो नहीं होते, लेकिन महिला को बेहतर महसूस होता है। इसके बावजूद तकलीफ कंट्रोल न हो तो डॉक्टर से मिलें।