Ganesha Mahotsav: गणेश महोत्सव 2025 पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) पर गणेश विसर्जन के साथ सम्पन्न होगी। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव, विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके कई नामों में ‘एकदंत’ नाम विशेष महत्व रखता है।
गणेश महोत्सव 2025 की शुरुआत 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी से हुई और यह 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) पर समाप्त होगा। इस दौरान भक्तगण विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें अनेक नामों से संबोधित करते हैं। इन नामों में एक विशेष नाम है – एकदंत’, जिसके पीछे कई रोचक कथाएं प्रचलित हैं।
- पहली कथा महाभारत ग्रंथ की रचना से जुड़ी है। महर्षि वेदव्यास ने जब महाभारत लिखने का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने गणेश जी से इसे लिखवाने का आग्रह किया। गणेश जी ने सहमति दी लेकिन शर्त रखी कि वेदव्यास जो भी कहेंगे, वे बिना रुके लिखेंगे और तभी लिखेंगे जब उसे समझ लेंगे। महाभारत के लेखन के दौरान उनकी कलम कई बार टूट गई। निरंतर लेखन में बाधा न आए, इसके लिए गणेश जी ने अपना एक दांत तोड़ लिया और उसे कलम की तरह इस्तेमाल किया। तभी से उन्हें ‘एकदंत’ कहा जाने लगा।
- दूसरी कथा परशुराम से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम कर रहे थे, तब गणेश जी पहरेदारी कर रहे थे। उसी समय परशुराम शिव जी से मिलने आए, लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर परशुराम ने उनसे युद्ध किया। गणेश जी ने उन्हें पराजित कर दिया, जिससे परशुराम और भी क्रोधित हो गए। गुस्से में उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी पर प्रहार कर दिया, जिससे उनका एक दांत टूट गया।
- इन कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि गणपति का ‘एकदंत’ स्वरूप केवल एक शारीरिक विशेषता नहीं, बल्कि उनके साहस, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। यही कारण है कि गणेश महोत्सव के दौरान भक्त उन्हें ‘एकदंत’ कहकर श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजते हैं।










































