विभाजन के बाद खेती कर रहे शरणार्थियों को भूमि का अधिकार देने पर होगा विचार, CM मनोहर ने की घोषणा

Parmod Kumar

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भारत-पाक विभाजन के बाद बड़ी संख्या में विस्थापितों ने कुरुक्षेत्र में शरण ली थी। यहां उन्हें खेती के लिए बंजर भूमि दी गई, जिसे उन्होंने उपजाऊ बनाया। आज भी वे इस जमीन को जोत रहे हैं, लेकिन 75 साल बाद भी उन्हें भूमि पर किसी प्रकार का अधिकार नहीं मिला है। ऐसे लोगों को उनका अधिकार दिलाने पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल रविवार को थानेसर अनाज मंडी में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विभाजन के बाद रक्तपात में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि भारत पाक विभाजन के दौरान लाखों लोग विस्थापित हुए थे। उनमें बहुत से ऐसे लोग भी थे जो किसान तो नहीं थे, लेकिन गुजारे के लिए दूसरों के खेतों में काम करते थे। विस्थापित होने के बाद उन्हें खेती के लिए नदियों के किनारे और पंचायतों की बंजर भूमि दी गई। उन लोगों खूब मेहनत से इस जमीन को उपजाऊ बनाया। वे लोग आज भी उन जमीनों पर खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीन पर कोई अधिकार नहीं दिया गया। यह बड़ी त्रासदी है। ऐसे लोगों को उनका अधिकार दिया जाना चाहिए। इस दिशा में सरकार की ओर से प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले शहीदों की याद में कुरुक्षेत्र जिले के पिपली के नजदीक 25 एकड़ भूमि पर शहीदी स्मारक बनाया जाएगा। उन्होंने पंचनद स्मारक ट्रस्ट को शहीदी स्मारक ट्रस्ट बनाने के लिए निर्देशित किया। साथ ही कहा कि यह ट्रस्ट अर्ध सरकारी हो। उन्होंने कहा कि ऐसा स्मारक बनाया जाएगा जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा। समाज का हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुसार इसमें योगदान देगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि वे भी इस ट्रस्ट के सदस्य होने के नाते इसमें भरपूर सहयोग देंगे। कार्यक्रम में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के प्रदेशाध्यक्ष एवं थानेसर विधायक सुभाष सुधा, ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव सहित कई सांसद और विधायक उपस्थित रहे।