विधानसभा के दावपेच जानने वाले विशेषज्ञ मान रहे हैं कि 12 मार्च को नायब सैनी ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ का कार्यकाल 11 सितंबर को पूरा होगा। नायब सैनी मुख्यमंत्री के रूप में 6 महीने से अधिक मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रह सकते। क्योंकि यह लोकसभा के सांसद हैं, संवैधानिक रूप से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 24 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। इस हिसाब से अगर सरकार समय पर हरियाणा विधानसभा चुनाव करना चाहे तो 42 दिन का समय ज्यादा है।
संविधान विशेषज्ञ राम नारयण यादव का कहना है कि 6 महीने से अधिक वर्तमान मुख्यमंत्री का कार्य करना संभव नहीं है। अतीत में भी मामलों में जब बिना विधानसभा के सदस्य हुए शपथ ली तो उन्हें एक दिन का समय भी अधिक नहीं मिला। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी कई आदेश हो चुके हैं। किसी भी प्रांत का वह मुख्यमंत्री विधानसभा भंग कर सकता है, जिसने विधानसभा में बहुमत हासिल किया हो। मुख्यमंत्री बनने के अगले दिन बुधवार को विधानसभा में बहुमत अर्जित करने का मामला देखते हुए यह माना जा सकता है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले हरियाणा की कैबिनेट की मीटिंग बुला, उसमें ऐसा प्रस्ताव आ सकता है।
फिलहाल यह सब मामला भविष्य के गर्भ में है, लेकिन संविधान विशेषज्ञ राम नारायण यादव का कहना है कि इस घटनाक्रम से इनकार नहीं किया जा सकता। हरियाणा की राजनीति में वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस्तीफे के बाद तथा अनिल विज द्वारा शपथ ग्रहण समारोह नदारद रहने पर पंजाबी समुदाय में विशेष बेचैनी देखी जा रही है। बेचैनी का एक अहम कारण यह भी है कि गृहमंत्री अनिल विज हरियाणा के एकमात्र ऐसे कद्दावर नेता है, जिनके पास लोग अपनी समस्याएं दुख निवारण के लिए देने हेतु खुद पहुंचते हैं। अनिल विज किसी व्यक्ति की कोई सिफारिश हो या ना हो, आम आदमी के बीच सुनवाई करने में अग्रणी माने जाते हैं। अतीत में भी हरियाणा की राजनीति में इस तरह के कई उदाहरण देखने को मिले हैं, अगर किसी नेता को बिना विधानसभा के सदस्य के सदस्यता के मुख्यमंत्री बना दिया गया हो तो उनको तो 6 महीने के बाद हटना पड़ता है। ऐसे भी हालत रहे हैं कि एक नेता 6 माह के अंदर चुनाव में विवाद खड़ा हो जाने के कारण जीत नहीं पाए थे। इसके बाद उन्हें से कुर्सी से त्यागपत्र भी देना पड़ा था। मनोहर लाल हरियाणा के पंजाबी वर्ग में एक विशेष पकड़ बना चुके थे। उनके मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने पर पंजाबी समाज में पीड़ा देखने को मिल रही है। नव नियुक्त मुख्यमंत्री नायब सैनी इसकी की भरपाई किस प्रकार से करेंगे, यह सब देखने वाली बात होगी।