लोकसभा चुनावों की तिथियों का शंखनाद होते ही अब समूचे प्रदेश में सियासी पारा ऊपर चढ़ता दिखाई देने लगा है। हालांकि भाजपा की ओर से कुल 10 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से भी कुरुक्षेत्र सीट से आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डा. सुशील गुप्ता व इनेलो की ओर से अभय सिंह चौटाला मैदान में आ चुके हैं और इन सभी प्रत्याशियों ने चुनावी प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है।
इसके अलावा माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों के अंतराल में जहां सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए जाएंगे तो वहीं साल 2024 के लोकसभा चुनावों को पार पाने के लिए भी हर पार्टी द्वारा फूंक-फूंक कर एक विशेष रणनीति के तहत समूल प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। अहम बात ये है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में 10 की 10 सीटों पर विजयी पताका लहराया था और कमोबेश इस बार पार्टी ने पूरे देश में 400 पार का नारा गढ़ते हुए हरियाणा में पुन: उसी इतिहास को दोहराने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो उस वक्त हरियाणा में कुल 70.34 प्रतिशत मतदान हुआ था जो 2014 के संसदीय चुनावों की तुलना में 1.11 प्रतिशत कम था। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में करनाल सीट ऐसी थी जहां से भाजपा के उम्मीदवार संजय भाटिया ने पूरे प्रदेश में जीत का रिकॉर्ड बनाया था तो देश में सबसे बड़ी जीत के रूप में उनका दूसरा स्थान रहा था। संजय भाटिया ने 6 लाख 56 हजार 142 वोटों के अंतर से कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को हराकर शानदार जीत हासिल की थी, जबकि इन्हीं 10 में से रोहतक एक ऐसी सीट थी जहां भाजपा प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा ने कड़े मुकाबले के बीच महज 7 हजार 503 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा को हराकर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 58.2 प्रतिशत मत हासिल किए जबकि कांग्रेस को 28.42 प्रतिशत वोट पड़े। इसी प्रकार जजपा को 4.9 प्रतिशत तो इनेलो की झोली में 1.89 प्रतिशत मत आए। मसलन पूरे हरियाणा में भाजपा को 73 लाख 57 हजार 347, कांग्रेस को 36 लाख 4 हजार 106, जजपा को 6 लाख 19 हजार 970 और इनैलो को 2 लाख 40 हजार 258 वोट मिले। वर्ष 2019 में हासिल हुई जीत को लेकर जहां इस बार पुन: भाजपा 10 पर वहीं ‘दम’ दिखाने की दिशा में रणनीति का आधार बना रही है तो वहीं कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल भी चुनावी नैय्या को पार लगाने के लिए उम्मीदवारों के रूप में खास ‘वैतरणी’ पर फोकस किए हुए है और उम्मीदवारों के चयन को लेकर सभी दलों में मंथन का दौर जारी है। ऐसे में अब देखना ये है कि साल 2024 के इस लोकसभा चुनावों में इन 10 सीटों पर किसका दम ज्यादा असरकार साबित होता है।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो उस चुनाव में कांग्रेस व इनैलो ने सभी 10 सीटों पर अपने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जबकि जजपा ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। जजपा ने 7 जबकि आप ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जजपा की ओर से दुष्यंत चौटाला हिसार सीट से उम्मीदवार थे और हिसार सीट को छोडक़र शेष सभी 9 सीटों पर जजपा-आप गठबंधन उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। फरीदाबाद, अंबाला व करनाल संसदीय सीट से आप के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जबकि शेष 7 सीटों पर जजपा के उम्मीदवार थे। इसी प्रकार कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर न केवल चुनाव लड़ा था बल्कि अपने सभी हैवीवेट नेताओं को मैदान में उतारा था जिनमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा, कुलदीप शर्मा, निर्मल सिंह, भव्य बिश्नोई, श्रुति चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव, अशोक तंवर व अवतार सिंह भडाना शामिल थे। इनमें से हिसार को छोडक़र शेष सभी 9 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे और सभी सीटों पर कांग्रेस व भाजपा का ही सीधा मुकबाला रहा। इसके अलावा इनैलो उम्मीदवार भी सभी 10 सीटों पर उतरे और किसी सीट पर भी पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।