मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर किसानों का रजिस्ट्रेशन 10 जून से शुरू कर दिया गया है. रजिस्ट्रेशन के बिना कोई भी अपनी फसल नहीं बेच पाएगा. इसलिए अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचना है तो पंजीकरण जरूर करवाएं. इसके साथ ही खाता सत्यापन प्रक्रिया भी शुरू की गई है. पोर्टल पर अब तक 3,98,608 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. इसके डाटा का सत्यापन ई-गिरदावरी और अन्य माध्यमों से जल्दी शुरू किया जाएगा. गिरदावरी में सब्जियों सहित सभी फसलों एवं किस्मों को कवर किया जाएगा.
इस बात की जानकारी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल को खरीफ सीजन 2021-22 के संबंध में हुई समीक्षा बैठक में दी. उन्होंने बताया कि खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) को 16000 नई जूट की बेलों की आपूर्ति का ऑर्डर दिया है. इसकी अतिरिक्त आपूर्ति के लिए राज्य की खरीद एजेंसियों के लिए ओपन टेंडर के माध्यम से 50,000 बेल खरीदी जा रही हैं.
खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ेगी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को फसल बिक्री के दौरान किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए. इसके लिए अनाज मंडी में समुचित व्यवस्था हो. यही नहीं किसानों के लिए शेड्यूलिंग करने की भी व्यवस्था की जाए. ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे किसान अपनी सुविधानुसार तारीख का चयन कर मंडी में अपनी फसल बेचने आ सके. आवश्यक हो तो खरीद केंद्रों की संख्या में वृद्धि कर दी जाए. श्रमिकों की उपलब्धता व बारदानों की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
किस फसल के लिए कितनी मंडियां
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वर्तमान में धान के लिए 198 मंडियां , मूंग के लिए 23, मक्का के लिए 19 और मूंगफली के लिए 7 मंडियां हैं. खरीफ सीजन 2020-21 के दौरान 56.54 लाख मीट्रिक टन धान, 1099.65 मीट्रिक टन मूंग, 4016.55 मीट्रिक टन मक्का और 650.36 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद की गई है.
मानकों को लागू करने का वादा
खरीफ सीजन 2021-2022 से केंद्रीय पूल खरीद के लिए केंद्र सरकार के मानकों को लागू किया जाएगा. मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार खरीफ सीजन 2021-2022 से केंद्रीय पूल खरीद के लिए राज्यों द्वारा कुछ मापदंडों का पालन किया जाना है. हरियाणा में अधिकांश का पालन किया जा रहा है. किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण, राज्यों के भूमि रिकॉर्ड के साथ पंजीकृत किसान डाटा का ऑनलाइन इंटीग्रेशन, डिजीटल मंडी या खरीद केंद्र जैसे मापदंड लागू किए जा चुके हैं. जबकि तीन अन्य मापदंडों को भी जल्द लागू किया जाएगा.