World Toilet Day: ताले में बंद विदिशा शहर के ‘सुविधा घर’, जो चल रहे उनमें असुविधाओं का अंबार !

parmodkumar

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लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए सुविधा घर ताले में बंद पड़े हैं। नगर पालिका ने शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय बनवाए लेकिन इनका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है। शहर में ही 17 सार्वजनिक शौचालय हैं, लेकिन इनमें सुविधाओं के नाम पर हाथ धोने साबुन के अलावा कुछ नहीं है। कुछ शौचालयों में चार साल पहले हैंड ड्रायर मशीन, फीडबैक मशीन, पैड वेंडिंग मशीन लगाई गई थीं, जो अब बंद पड़ी हैं।

आज शौचालय दिवस है, लेकिन इस मौके पर विदिशा नगर पालिका कोई आयोजन की तैयारी नहीं कर पाई। स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए नपा के साथ काम कर रही संस्था सिद्धि विनायक वेस्ट मैनेजमेंट की टीम लीडर अनीता पांचाल ने कहा कि शौचालय दिवस को लेकर पहले से कोई आयोजन करने की तैयारी तो नहीं की, लेकिन आज कुछ न कुछ गतिविधियां कर लेंगे।
उन्होंने बताया कि शहर में शौचालयों के अंदर सुविधाओं की कमी है। पुराने शौचालय हैं जो वर्तमान में स्वच्छ सर्वेक्षण के मापदंडों के अनुसार नहीं है। इसलिए इन शौचालयों को आदर्श शौचालय नहीं बना पा रहे हैं। वर्तमान में एक ही आदर्श शौचालय है जो पुरानी तहसील कार्यालय के पास है। आदर्श शौचालय में दिव्यांगों के लिए भी सुविधा है जबकि अन्य पुराने शौचालयों ऐसी कई कमियां हैं।

गांवों के स्वच्छता परिसरों के ही बुरे हाल

गांव-गांव में सार्वजिनक शौचालयों का निर्माण हो रहा है जिन्हें स्वच्छता परिसर का नाम दिया है। लेकिन निर्माण के बाद से ही ये सुविधा ताले में बदं हो जाती है। जिले में अलग अलग पंचायतों में बनाए इन शौचालयों का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। आनंदपुर में पिछले दस साल से शौचालय बंद है तो वहीं ग्यारसपुर के मृगन्नाथ धाम के पास बना स्वच्छता परिसर भी ताले में है। दीपनाखेड़ा बस स्टैंड का शौचालय पानी की कमी और सफाई नहीं होने के कारण बंद पड़ा है। ज्यादातर गांवों में बने इन शौचालयों में सफाई व्यवस्था नहीं होने से इनकी हालत बदतर हो गई है।

लाखों की लागत से बने शौचालय बंद

जिला अस्पताल परिसर, कलेक्ट्रेट जैसे सार्वजनिक स्थानों पर नगर पालिका ने सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया है। एक शौचालय की निर्माण लागत करीब दस लाख रुपये है, इन्हें बनवाकर नगर पालिका ही भूल गई है। शौचालयों का संचालन किसी संस्था को नहीं सौंपा गया है। इस कारण करीब छह माह से ज्यादा का समय हो गया इनमें ताले ही लगे हुए हैं।

घर-घर शौचालय, मिली बीमारियों से मुक्ति

स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद गांवों में बदलाव देखने को मिले हैं। घर घर शौचालय निर्माण होने से गंदगी नहीं हो रही है। लोगों को बीमारियों से मुक्ति मिली है। हैजा, डायरिया जैसी गंभीर बीमारियां इसी गंदगी के कारण फैलती थीं। लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्र ऐसी बीमारियों से मुक्ति की दिशा में बढ़ गए हैं। घरों में शौचालय होने से महिलाओं को खासी सुविधा हुई है अब उन्हें बाहर खुले में नहीं जाना पड़ता। 2019 से शुरु हुए इस अभियान के बाद आज पूरे जिले में 1521 गांवों को खुले में शौच मुक्त हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के डेढ़ लाख घरों में शौचालय निर्माण कराए गए हैं।