सिरसा जिले का गांव मोचीवाली, यहां के किसान रघुबीर सिंह ने 2018 में अपनी कॉटन की फसल का बीमा कराया, बीमा का प्रीमियम काटते समय बैंक के अधिकारी की गलती से गांव जहां किसान का रकबा था, गांव मोचीवाली की जगह भावदीन चढ़ गया, किसान का बीमा हो गया, जब कॉटन की फसल ख़राब हो गयी तो कृषि अधिकारीयों ने मोचीवाली गांव के फसली बीमा की एस्सेमेंट्स करवा सरकार को भेजी, बाद में बीमा का क्लेम आ गया, सभी गांव के किसान जिनकी कॉटन की फसल ख़राब हुई थी, उनको बीमा का क्लेम मिल गया, जबकि रघुबीर सिंह को बीमा नहीं मिला, जब बैंक से पता करवाया तो खामी पता चली क्योंकि गांव का नाम बदला हुआ था, अब पिछले चार साल से किसान चक्कर काट रहा है, कभी कृषि अधिकारी, जिला प्रशासन तो कभी बैंक के अफसरों के पास, लेकिन समाधान नहीं हुआ, दरअसल, ये गलती बैंक की थी, जिस गांव का रकबा चढ़ाया गया वहां किसानों की फसल ख़राब नहीं हुई लेकिन जहां फसल ख़राब हुई वहां गांव के नाम बदलने के कारण क्लेम नहीं मिला, अब किसानों को बीमा कम्पनी को करीब 70 हजार रूपये का बनता क्लेम देना है लेकिन चार साल का ब्याज जोड़ा जाए तो राशि डबल हो जाती है, ऐसे में अब किसान को उपभोक्ता अदालत का सहारा लेना पड़ेगा, देखिये ये वीडियो प्रमोद कुमार के साथ वीडियो जर्नलिस्ट चरण सिंह
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